संगरोधी समय में शिक्षकों का उत्तरदायित्व--सीमा कुमारी - Teachers of Bihar

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Monday, 6 April 2020

संगरोधी समय में शिक्षकों का उत्तरदायित्व--सीमा कुमारी

संगरोधी समय में शिक्षकों का उत्तरदायित्व
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          जैसा कि हम सब जानते हैं कि यह क्रूर समय हम सबके लिए परीक्षा की घड़ी है। मानव प्रजाति के लिए सबसे बड़़ी चुनौती बन कर उभरा यह कोरोना वायरस सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरा बनता जा रहा है। ऐसी विकट परिस्थिति में हम शिक्षकों का यह उत्तरदायित्व है कि खुद सकारात्मक रहें और अपने परिवार के साथ-साथ अपने पास-पड़ोष को भी सकारात्मक रखें तथा उन्हें इस जंग से  लड़ने के लिए जागरुक करें।
          यह लड़ाई हम अपने आपको बचा कर ही जीत सकते हैं इसलिए सबसे पहला उत्तरदायित्व तो यही है कि हम पूरी सतर्कता के साथ घर पर ही रहें और लोगों को भी इसके लिए जागरूक करें। कोविड 19 विषाणु जैसी विपदा को हम फैलने से रोकने के लिए उनके बढ़ते चेन को तोड़ने का ही हथियार अपना सकते हैं। अब सवाल यह है कि 21 दिन के लॉकडाउन में हम शिक्षक आखिर करेंगे क्या? इस सवाल के जबाव के लिए हम कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा कर सकते हैं।
सर्वप्रथम तो यह 21 दिन में हमारी दुनियाँ पूरी तरह से बदल जाने वाली है क्योंकि कहा जाता है कि कोई भी नई आदत को अगर हम 21 दिन तक लगातार करते रहें तो वह हमारी जीवनशैली बन जाती है ।
सर्वप्रथम हम कुछ अच्छी आदतों की लिस्ट बनाएँगे जो मुझे करना चाहिए जैसै--
1 योगाभ्यास
2 मेडिटेशन
3 किताब पढ़ने की आदत 
4 डायरी लिखने की आदत
5 शारीरिक श्रम व सफाई की आदत
इन सबको अपनी दिनचर्या का एक हिस्सा बना लें साथ ही अगर आपके छोटे बच्चे हों तो उन्हें भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। अपने बच्चों को पंचतंत्र की कहानियाँ पढ़ कर सुनाएँ। उनके साथ बात-चीत करें और उनका मनोबल बढ़ाएँ। यह तो रही खुद अपना और अपने परिवार के व्यक्तित्व विकास के लिए एक शिक्षक का पहल। अब जरा हम अपने विद्यालय एवं उनके बच्चों के बारे में भी अपने कुछ उत्तरदायित्वों का निर्वहन करेंगे।
एक शिक्षक का अपने बच्चों के साथ गर्भ नाल की तरह जुडाव होता है। वे अलग रहकर भी एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। ऐसी परिस्थिति में शिक्षक अपनी घरेलू दिनचर्या के साथ-साथ विद्यालय का जो मासिक कैलेंडर हैं, उसे फॉलो करते हुए अपनी रोजमर्रा की रुटिन निम्न तरीकों से  तय कर सकते हैं।
1 मासिक पाठ्यक्रमानुसार टी एल एम निर्माण करके।
2 सिलेबस से संबंधित अन्य किताबों का अध्ययन करके।
3 हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी के शब्दकोश से नित नए शब्दों के अर्थ व उनके प्रयोग करके सीखते हुए।
4 भारत व विश्व के नक्शे का अध्ययन करके।
5 बच्चों को सिखाने के लिए नए-नए गीतों और पोएम्स के लिए यू ट्यूब आदि इंटरनेट के जरिए सर्च करके ।
6 सेल्फ टीचिंग असेस्मेंट तैयार करके ।
7 देश-दुनियाँ की नई जानकारियों से अपने आपको अद्यतन करके ।
8 जी.के. क्विज के लिए प्रश्नोत्तरी तैयार करके ।
9 चेतना-सत्र को और भी अधिक ज्ञानवर्धक व रोचक बनाने हेतु उपाय सोच कर ।
10 बाल साहित्य व बाल पत्रिकाओं का अध्ययन करके बच्चों में साहित्य के प्रति जागरूकता के लिए कुछ नया सोचते हुए ।
11 बाल मनोविज्ञान का अध्ययन करके अपनी कक्षा के कुछ केस स्टडी को सुलझाते हुए।
          इस प्रकार यह 21 दिन के लॉकडाउन से उपजे अवसाद को हम चुटकियों में हल कर सकते हैं साथ ही कोरोना जैसी भयंकर वैश्विक महामारी को भी हम अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से मात दे सकते हैं।
          ज्ञातव्य है कि टीचर्स ऑफ बिहार के बैनर तले कई शिक्षक अपना सकारात्मक योगदान इस नकारात्मक माहौल में भी निरंतर दे रहे हैं। अगर आपमें भी कोई टैलेंट हों तो आप प्लीज उसका वीडियो बनाकर इस मंच पर जरूर शेयर करें ताकि हजारों शिक्षक आपसे प्रेरित हो सकें, सकारात्मक हो सके।
मानवता के विरुद्ध इस लड़ाई में हम सब साथ-साथ हैं ।


सीमा कुमारी
राजकीयकृत मध्य विद्यालय बीहट
बरौनी, बेगूसराय

6 comments:

  1. अनुकरणीय!
    विजय सिंह

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  2. समसामयिक विषय पर एक उपयोगी आलेख। जीवन शैली में सुधार लाने एवं उसे बनाए रखने के लिए यदि हम लाकडाउन का उपयोग करें तो यह समय प्रबंधन का एक अच्छा उदाहरण साबित होगा। हर गलती हमें कुछ न कुछ सीखने का अवसर देती है और हमें इन अवसरों का सदुपयोग करना चाहिए। अच्छे एवं प्रासंगिक आलेख हेतु बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं.......

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  3. 21 दिन के लॉक डाउन में अच्छी चीज अपनाएँ।
    नित् नया ज्ञान सीखें,और दूसरों को भी सिखाएँ।।
    बहुत ही अच्छा आलेख, वर्तमान समयानुकूल सटीक चित्रण।

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  4. ये वक़्त फिर नहीं आयेगा...

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  5. इसे पढ़ने मात्र से कुछ करने का मन हो आया।बहुत ही सार्थक रचना। बहुत बहुत बधाई।।

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  6. आज के समय अनुकूल अनुकरणीय

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