Tuesday, 7 April 2020
New
मध्याह्न भोजन योजना--रंजेश कुमार
मध्याह्न भोजन योजना
===============
मध्याह्न भोजन योजना स्कूल में भोजन उपलब्ध कराने एवं बच्चों को समुचित पोषण देने की सबसे अच्छी योजना है जिसमें रोजाना सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त 11.75 लाख से अधिक स्कूलों के 10.8 करोड़ बच्चे शामिल हैं। घरों से कुछ बच्चे तो खाली पेट ही आते हैं और स्कूल के बाद घर जाकर ही खाते हैं l जिस बच्चे के पेट में चूहे दौड़ रहे हों उन बच्चों के लिए मन लगाकर पढ़ाई करना मुमकिन नहीं है। इस नज़रिये से देखें तो यह योजना शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है जो स्कूलों में नामांकन, उपस्थिति और पढ़ाई तीनों में मददगार है। पौष्टिक खाना मिले तो कुपोषण पर भी वार किया सकता है।
यह योजना समाज की रचना में भी महत्वपूर्ण कदम है। स्कूल में खाने से पहले बच्चे हाथ धोते हैं, थाली धोते हैं, लाइन में बैठते हैं (या लाइन बनाकर खाना लेने जाते हैं), एक साथ बैठकर खाते हैं जिसका एक अलग ही महत्त्व है। खाने से पहले हाथ धोना स्वस्थ्य शिक्षा का एक सरल लेकिन ज़रूरी पाठ है। हर जाति-वर्ग के बच्चे साथ बैठकर खाएँगे तो लोकतंत्र का अहम पाठ पढ़़ने को मिलता है। यह भारत सरकार की एक योजना है जिसके अन्तर्गत पूरे देश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है। नामांकन बढ़ाने, प्रतिधारण और उपस्थिति तथा इसके साथ- साथ बच्चों में पौषणिक स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से 15 अगस्त 1995 को केन्द्र प्रायोजित स्कीम के रूप में प्रारंभिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पौषणिक सहायता कार्यक्रम शुरू किया गया था। अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कूल पहुँचते हैं। जो बच्चे स्कूल आने से पहले भोजन करते हैं उन्हें भी दोपहर तक भूख लग जाती है और वे अपना ध्यान पढाई पर केंद्रित नहीं कर पाते। मध्याह्न भोजन बच्चों के लिए "पूरक पोषण" के स्रोत और उनके स्वस्थ विकास के रूप में भी कार्य कर सकता है। यह समतावादी मूल्यों के प्रसार में भी सहायता कर सकता है क्योंकि कक्षा में विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमि वाले बच्चे साथ में बैठते हैं और साथ-साथ खाना खाते हैं। विशेष रूप से मध्याह्न भोजन स्कूल में बच्चों के मध्य जाति व वर्ग के अवरोध को मिटाने में सहायक होता है। स्कूल की भागीदारी में लैंगिक अन्तराल को भी यह कार्यक्रम कम कर करता है। वर्ष 2003 में इस योजना का विस्तार कर शिक्षा गारंटी केन्द्रों और वैकल्पिक व नवाचारी शिक्षा केन्द्रों में पढ़ने वाले बच्चों तक कर दिया गया। अक्तूबर 2007 से इसका देश के शैक्षणिक रूप से पिछड़े 3479 ब्लाकों में कक्षा VI से VIII में पढ़ने वाले बच्चों तक विस्तार कर दिया गया है। वर्ष 2008-09 से यह कार्यक्रम देश के सभी क्षेत्रों में उच्च प्राथमिक स्तर पर पढने वाले सभी बच्चों के लिए कर दिया गया है। राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना विद्यालयों को भी प्रारंभिक स्तर पर मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत 01.04.2010 से शामिल किया गया है। हर पंचवर्षीय योजना में सरकार द्वारा इस योजना से जुड़ा हुआ बजट तय किया जाता है। ग्याहरवें पंचवर्षीय योजना में इसके लिए सरकार ने नौ अरब का बजट निर्धारित किया था। जबकि बारहवें पंचवर्षीय योजना में नौ सौ एक दशमलव पचपन अरब रूपये का बजट रखा था।
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इस योजना पर आने वाले खर्चे को साझा किया जाता है। जो भी खर्चा इस स्कीम को लेकर आता है उसमें केंद्र सरकार को 60 प्रतिशत और राज्यों को 40 प्रतिशत पैसे देने होते हैं। केंद्र सरकार भोजन के लिए अनाज और वित्त पोषण प्रदान करती है जबकि संघीय और राज्य सरकारों द्वारा सुविधाओं, परिवहन और श्रम की लागत का खर्चा उठाया जाता है। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, देशभर के स्कूलों में यह योजना मार्च 2017 में समाप्त हो गई थी। इसके बाद केंद्र ने योजना का रिव्यू करवाने का फैसला लिया। वित्त मंत्रालय ने रिव्यू के लिए बीस राज्यों में योजना का थर्ड पार्टी सर्वे करवाया। सर्वे रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि बच्चों को पौष्टिक भोजन संग शिक्षित करने के उद्देश्य से शुरू योजना को बंद करना गलत होगा। इसे जारी रखा जाना चाहिए।
रंजेश कुमार
प्राथमिक विद्यालय छुरछुरिया
फॉरबिसगंज, अररिया
About ToB Team(Vijay)
Teachers of Bihar is a vibrant platform for all who has real concern for quality education. It intends to provide ample scope and opportunity to each and every concern, not only to explore the educational initiative, interventions and innovations but also to contribute with confidence and compliment. It is an initiative to bring together the students, teachers, teacher educators, educational administrators and planners, educationist under one domain for wide range of interactive discourse, discussion, idea generation, easy sharing and effective implementation of good practices and policies with smooth access.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Very nice Ranjesh Jee
ReplyDeleteअच्छी जानकारी। धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी जो लोग कहते हैं मध्यान भोजन से विद्यालय बर्बाद हो गया है उन लोगों के लिए यह जानकारी उन लोगों के लिए करारा जवाब साबित हो सकता है
ReplyDeleteअच्छी लेखनी के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर एवं उपयोगी आलेख। मध्यान्ह भोजन योजना संपूर्ण भारत में सरकारी विद्यालयों में चलायी जाने वाली महत्वाकांक्षी योजना है जो न केवल छात्रों का ठहराव सुनिश्चित करता है बल्कि उन्हें जरुरी पोषण भी प्रदान करता है। बहुत बहुत धन्यवाद एवं शुभकामनाएं....
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुन्दर मित्र!
ReplyDeleteविजय सिंह