नैतिक शिक्षा अनिवार्य-रूही कुमारी - Teachers of Bihar

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Tuesday, 4 August 2020

नैतिक शिक्षा अनिवार्य-रूही कुमारी

नैतिक शिक्षा अनिवार्य 

          सत्य बोलना, हिंसा न करना, परोपकारी होना, सहयोग करना, चोरी न करना आदि को हम नैतिक मूल्य में शामिल करते हैं। मनुष्य में नैतिक मूल्यों का विकास बाल्यकाल से ही आरम्भ होने लगता है। इसमें प्रथम सीढ़ी के रूप में उसके परिवार की भूमिका होती है फिर समाज तथा शिक्षण संस्थानों की भागीदारी आती है।
          छः वर्ष तक बच्चे अपने परिवार में परिजनों के संसर्ग में तो नैतिकता सीखते  हैं। शिक्षण संस्थान से जुड़े होने के कारण उसके बाद हमारी जिम्मेवारी आती है कि हम अपने बच्चों को किस तरह सींचते हैं तथा उन्हें कैसे व्यवहार कुशल बनाते हैं। हमें बच्चों के बौद्धिक विकास पर ध्यान देने के साथ ही उनकी नैतिक शिक्षा और आध्यात्मिक मूल्यों को भी विकसित करने की ओर ध्यान देना चाहिए।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था- "जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सके, मनुष्य बन सके, चरित्र गठन कर सके वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है"।आज RTE के तहत बच्चों की शिक्षा अनिवार्य तो बन गयी है किंतु हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इनमें नैतिकता किस रूप में शामिल है। क्या यह शिक्षा व्यवहारकुशल बनाती है, क्या ऐसी शिक्षा एक सफल मनुष्य बना सकती है? एक शिक्षक की भूमिका यहाँ काफी बढ़ जाती है। यह आवश्यक है कि एक कोमल मन में शिक्षक भावों को किस प्रकार भरता है तथा उसे किस दिशा की ओर गति प्रदान करता है।
सिकंदर महान का कहना था कि- "मैं इस जीवन के लिए पिता का ऋणी हूँ किन्तु बेहतर जीवन के लिए मैं अपने अध्यापक का ऋणी हूँ"। इस पंक्ति की गहराई शिक्षकों को कर्तव्यबोध कराती है। यह दर्शाती है कि एक बच्चा किस प्रकार स्वयं को शिक्षक को समर्पित कर देता है।छात्र भविष्य में जो भी बनता है उसमें उसके शिक्षक की छवि झलकती है। इसी शिल्पकार के पास से कोई बच्चा सिकंदर से महान व्यक्तित्व बनकर निखरता है तो कोई ओसामा-बिन-लादेन जैसा आतंकवादी। निःसंदेह ऐसे चरित्रों के पीछे उनके आस-पास के वातावरण का भी योगदान होता है मगर शिक्षकों की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता।
          हाल ही के दिनों में BOIZ LOCKER ROOM जैसी शर्मनाक घटना सामने आई है जिसमें छोटे उम्र के बच्चे शामिल हैं। भविष्य में देश को सुचारू रूप से चलाने की ज़िम्मेदारी इनके कंधों पर आने वाली है। ऐसे अनैतिक विचारों के साथ बड़े हो रहे बच्चों के हाथों में देश का बागडोर होना, बेहद चिंतनीय है। साथ हीं आए दिन मॉब लिंचिंग, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नक्सलवाद, सम्प्रदायवाद, बलात्कार, चोरी, हत्या, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार आदि जैसे कुकृत्य सामने आते रहते हैं जो अत्यंत निंदनीय है। इन कृत्यों की बढ़ती संख्याएँ देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो समाज नैतिक मूल्यों से दूर होते जा रहा हो। आज मनुष्य स्वार्थ को सर्वोपरि मानकर परोपकारिता, आदरभाव, संवेदनशीलता, सहयोग भावना आदि को भूलता जा रहा है।
          उचित व नैतिक शिक्षा के अभाव में संभवतः ऐसे कुकर्मों को अंज़ाम दिया जाता है। अतः आधारभूत नैतिक मूल्यों का बीज बाल मन में ही बो देना उचित है जिससे उनकी पकड़ जड़ों(नैतिकता) पर मज़बूत बनी रह सकेगी तथा ससमय बच्चे एक फलदार वृक्ष (नैतिक मूल्यों के साथ) के रूप में विकसित हो सकेंगे। उच्च शिक्षण संस्थानों में जाने पर बच्चों को नैतिक शिक्षा का आधारभूत ज्ञान देना अपेक्षाकृत कम फलीभूत होता है।इस समय तक बहुत सारी गलत धारणाएँ इनके मन में घर कर जाती है जिसे बच्चे सत्य एवम उचित समझने लगते है। फिर उन्हें उस मार्ग से वापस लाना एक कठिन कार्य हो जाता है। 
          हमारे विद्यालयों में 'बापू की पाती' का नित्य पाठ करवाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है। इस पाठ के माध्यम से बच्चों को गाँधी जी की जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इनमें छिपी भावनाओं को बच्चे आत्मसात कर सकतहैं। उनमें सहयोग भावना, संवेदनशीलता, आत्मनिर्भरता, सत्यपरायन्ता, जवाबदेहिता, अस्तेय, अहिंसावादिता आदि मूल्यों का विकास कर सकते हैं। साथ ही विद्यालयों में प्रतिदिन प्रार्थना करवाने से भी बच्चों का मस्तिष्क शांत तथा एकाग्रचित रहता है।विद्यालय में समूह कार्य पर भी बल दिया जाना चाहिए जिससे सहयोग की भावना विकसित होगी । विभिन्न वर्गों के बच्चों के एक साथ आने पर वे आपस में अपनी संस्कृति का आदान-प्रदान कर सकेंगे तथा एक-दूसरे के भावों को साझा करने की भी प्रवृति विकसित होगी।
          आज के आधुनिक शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा धुमिल न हो इसके लिए हमारे विद्यालयों के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा एक अनिवार्य विषय होनी चाहिए। विभिन्न स्तरों पर बच्चों में नैतिकता का विकास हो, उन्हें आत्मज्ञान का बोध हो, वे विचारवान, चरित्रवान तथा आत्मनिर्भर बनें जिसके लिए हमें एक उचित वातावरण प्रदान करनी होगी। हम एक सुंदर भविष्य की कामना तभी कर सकते है जब इनका आज सुसज्जित कर सकें। 

रूही कुमारी
मध्य विद्यालय पचीरा
रानीगंज,अररिया

8 comments:

  1. नैतिकता ज्ञान हेतु बहुत अच्छी जानकारी👍👌👌

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  2. बहुत-बहुत सुन्दर!

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  3. बहुत सुंदर लेखनीय।

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