Tuesday, 11 August 2020
New
इम्यून सिस्टम एवं तनाव का मनोवैज्ञानिक पहलू-डाॅ. सुनील कुमार
इम्यून सिस्टम एवं तनाव का मनोवैज्ञानिक पहलू
वर्तमान स्वास्थ्य संबंधित वैश्विक संकट के दौर में तनाव, इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो तनाव का प्रभाव इम्यून सिस्टम पर भी पड़ता है। इम्यून सिस्टम का मुख्य कार्य शरीर को विभिन्न प्रकार के तत्वों जो शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, उससे बचाना होता है। इन तत्वों में बैक्टीरिया, वायरस तथा अन्य सूक्ष्मजीव प्रमुख हैं, जिन्हें संयुक्त रूप से 'एंटीजेन्स' कहा जाता है। अतः तनाव एवं इम्यून सिस्टम की अंतः क्रिया में तंत्रिका तंत्र एवं अंतस्रावी तंत्र दोनों ही सम्मिलित होते हैं।
मनोविज्ञान की एक नई शाखा जिसे साइकोन्यूरोइम्यूनोलॉजी कहा जाता है, में तनाव तथा इम्यून, अन्तर्वाही तथा तंत्रिका तंत्र क्रियाओं के बीच में होने वाली अंतःक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जब शरीर में 'एंटीजेन्स' का प्रवेश होता है तो इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है जिसका परिणाम यह होता है कि कुछ श्वेत रक्त कोशिकाओं जिन्हें लिम्फोसाइट्स भी कहा जाता है, की संख्या में वृद्धि हो जाती है। लिम्फोसाइट्स एंटीजेन्स पर आक्रमण करते हैं और उन्हें समाप्त कर शरीर पर उनके पड़ने वाले दुष्प्रभावों को निष्क्रिय कर देते हैं। उसकी दुष्क्रिया का एक प्रभाव यह भी दिखता है कि व्यक्ति में अतिसंवेदनशीलता या एलर्जी उत्पन्न हो जाती है। चक्रीय हृदय रोग (कोरोनरी हर्ट डिजीज) की उत्पत्ति में भी तनाव एक महत्वपूर्ण कारक माना गया है।
कुछ समय पहले तक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, तनाव से कार्य निष्पादन उन्नत एवं उच्चतम होता है लेकिन आधुनिक समय में प्राप्त तथ्यों से स्पष्ट हुआ है कि साधारण या निम्न स्तर के तनाव से भी कार्य निष्पादन में बाधा पहुँचती है। हल्का सा साधारण तनाव भी व्यक्ति का ध्यान विकर्षित करता है। जिन व्यक्तियों में इसका अनुभव नहीं होता वे तनाव से उत्पन्न दुःखद भाव एवं संवेगों पर काबू पा लेते हैं और परिणामतः व्यक्ति का निष्पादन खराब नहीं होता है। तनाव के साधारण स्तर का लंबे एवं आवर्तीय स्वरूप होने के कारण भी उसका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है साथ ही स्वास्थ्य समस्याओं से कार्य निष्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।किसी भी तनाव के कारण व्यक्ति के दैहिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसे कम करने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने अनेक प्रयास किए।
जब व्यक्ति तनाव या प्रतिबल परिस्थिति का सामना करने में कम से कम तीन प्रकार की चुनौतियों का प्रयोग करता है जैसे- भौतिक परिवेश से प्राप्त चुनौती, दैहिक सीमाओं से प्राप्त चुनौती एवं अंतर्वैयक्तिक चुनौती, तो इसे समायोजी व्यवहार की संज्ञा दी जाती है।अर्थात व्यक्ति पर्यावरणीय स्रोतों से मिलने वाली सूचनाओं एवं उद्दीपकों तथा अपनी आवश्यकताओं से उत्पन्न संघर्षों को नियंत्रित करने में जो प्रतिक्रिया व मानसिक व्यवहार करता है, उसके इन्हीं प्रयत्नों को समायोजी व्यवहार के रूप में जाना जाता है।
इस प्रकार समायोजी व्यवहार द्वारा तनाव को कम कर व्यक्ति के दैहिक एवं सांवेगिक स्वास्थ्य को उन्नत बनाए रखा जा सकता है।
✍️ डॉ. सुनील कुमार,
डिस्ट्रिक्ट मेंटर औरंगाबाद
राष्ट्रीय इंटर विद्यालय दाउदनगर औरंगाबाद
About ToB Team(Vijay)
Teachers of Bihar is a vibrant platform for all who has real concern for quality education. It intends to provide ample scope and opportunity to each and every concern, not only to explore the educational initiative, interventions and innovations but also to contribute with confidence and compliment. It is an initiative to bring together the students, teachers, teacher educators, educational administrators and planners, educationist under one domain for wide range of interactive discourse, discussion, idea generation, easy sharing and effective implementation of good practices and policies with smooth access.
इम्यून सिस्टम-डाॅ. सुनील कुमार
Labels:
Blogs Teachers of Bihar,
Teachers of Bihar,
Teachers of Bihar Blogs,
ToBBlog,
ToBblogs,
इम्यून सिस्टम-डाॅ. सुनील कुमार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत सुंदर आलेख सर
ReplyDeleteप्रेरणार्थक आलेख है सर जी!
ReplyDeleteसंक्षिप्त और सारगर्भित लेख|
ReplyDeleteज्ञानवर्धक एवं सारगर्भित आलेख के लिए बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही तार्किक एवं स्वास्थ्यवर्धक लेख।
ReplyDelete