Monday, 10 August 2020
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अभी नहीं-विजय सिंह "नीलकण्ठ"
अभी नहीं
किसी भी राष्ट्र के भविष्य का निर्माण वहाँ के विद्यालय से होता है चाहे गरीब देश हो या अमीर, विकासशील हो या विकसित। वर्तमान समय में जिस तरह से कोरोना वायरस ने संसार को अपनी गिरफ्त में ले लिया है को देखकर ऐसा लगता है कि पूरा विश्व काफी पीछे जाने को मजबूर है। अर्थात मानव संसाधन बीमारी से प्रभावित होकर असमय काल के गाल में समा रहे हैं। यह अलग बात है कि बहुत सारे लोग इस बीमारी को मात देने में सफल भी हो रहे हैं लेकिन बीमारों अर्थात कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। किसी भी देश से यह शुभ समाचार कब आएगा कि वह कोरोना मुक्त हो गया। वैसे कुछ दिन पहले न्यूजीलैंड ने घोषणा की कि वहाँ का अंतिम आदमी भी कोरोना वायरस को मात देने में सफल हुए लेकिन जब तक पूरे विश्व से इसका विस्तार रुकने की खबर नहीं आ जाती तब तक कुछ भी कहना अतिशयोक्ति होगी क्योंकि यह ऐसा वायरस है जो कम से कम और अधिक से अधिक तापमान पर जीवित रहता है।
लॉकडाउन में ढील के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो बहुत ही चिंता का विषय है। बहुत से लोग जो दैनिक मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं उन्हें काम करना ही होगा नहीं तो ऐसे लोग कोरोना से कम भूख से अधिक मरने लगेंगे लेकिन ऐसे सभी लोगों को जिन्हें प्रतिदिन काम पर निकलना पड़ता है को स्वयं में सुरक्षित रखने की भावना उत्पन्न करनी होगी तभी दूसरे भी सुरक्षित रहेंगे। इसके लिए मास्क का अधिक से अधिक उपयोग करना ही होगा। पिछले कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि अधिकांश लोग बिना मास्क का घर से बाहर निकलते हैं। काम करते समय सामाजिक दूरी का पालन भी नहीं करते जो अति आवश्यक है। यदि यही स्थिति रही तो यह बीमारी भयानक रूप धारण कर प्राचीन काल के महामारियों (हैजा, प्लेग इत्यादि) का रूप धारण कर लेगी जिससे गाँव के गाँव, शहर के शहर खत्म हो जाएँगे। अतः आम लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे स्वयं पर ध्यान दें। स्वयं सुरक्षित रहेंगे तभी दूसरे सुरक्षित रहेंगे और धीरे-धीरे पूरा राष्ट्र सुरक्षित हो जाएगा।
दूसरी तरफ हमारे देश के भविष्य पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यहाँ भविष्य उनके लिए प्रयुक्त किए गए हैं जो हमारी अगली पीढ़ी है अर्थात राष्ट्र का भविष्य निर्माता जिनकी पढ़ाई अभी बाधित है। बच्चे घर में रहते रहते उबने लगे हैं और विद्यालय खुलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऐसे बच्चों व अभिभावकों, विद्यालय प्रबंधकों या शिक्षकों, सरकारी संस्थानों या निजी विद्यालयों, सबों से विनती है कि विद्यालय में पठन-पाठन का कार्य अभी नहीं शुरू करें क्योंकि इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। बच्चे हमेशा एक दूसरे के साथ मिलकर खेलते हैं। उनमें सामाजिक दूरी की चिंता नहीं होती जो कोरोना वायरस के तिव्र फैलाव को बढ़ावा देगा। फिर वह दिन दूर नहीं होगा जब हर घर के प्रत्येक सदस्य इस बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। अतः जब तक इस बीमारी के रोकथाम के टीके न निकल जाए तथा जब तक सभी बच्चों, बड़ों को टीके न लग जाए तब तक विद्यालय खोलना बिल्कुल घातक सिद्ध होगा अर्थात विद्यालय में पठन-पाठन अभी नहीं।
पिछले एक दो दिन पहले यह खबर पढ़ने को मिली कि अब विद्यालयों को चरणबद्ध तरीके से खोलने पर विचार हो रहा है जो बहुत हीं घातक कदम होगा। ऐसा होने से कोरोना महामारी का रूप धारण कर सकता है जिसे नियंत्रित करना किसी के बस की बात नहीं होगी। हर घर के हर सदस्य इस बीमारी के चपेट में आ जाएँगे जिसका ईलाज बिल्कुल संभव नहीं होगा। इसलिए तत्काल इस विचार को स्थगित कर देश के हित में फैसला लेना चाहिए। बच्चे घर से ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त कर समय का सदुपयोग कर हीं रहे हैं।
वर्तमान समय में सरकारी या निजी विद्यालयों या संस्थानों के द्वारा जो ऑनलाइन पठन-पाठन का कार्य शुरू किया गया है वही सबसे बेहतर है इससे बच्चे अच्छी तरह से पढ़ाई कर ले रहे हैं और कोरोना से संक्रमित होने से भी बचे हुए हैं। जैसे टीचर्स ऑफ बिहार के द्वारा स्कूल ऑन मोबाईल कार्यक्रम के तहत बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी गई और आगे भी दी जाएगी। यह अलग बात है कि बच्चों को विद्यालय जैसा माहौल नहीं मिलता फिर भी विद्यालय अभी नहीं खुले।
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अभी नहीं-विजय सिंह "नीलकण्ठ"
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समसामयिक सुंदर आलेख सर।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद!
Deleteशब्दों से सुसज्जित सुन्दर आलेख
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद!
Deleteबहुत सुंदर आलेख सर 🙏
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद!
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