Tuesday, 21 July 2020
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परीक्षा परिणाम-ज्योति रीता
एक अपील तमाम माता-पिता के नाम
जब-जब बोर्ड परीक्षा/इंटरमीडिएट या किसी भी रिजल्ट की बात आती है तो मैं कुछ बातों को आपके समक्ष हमेशा से रखती रही हूँ। अभी कुछ दिनों से रिजल्ट की घोषणा हो रही है। हम देख रहे हैं सोशल मीडिया पर अभिभावक बहुत खुश होकर अपने बच्चों की तस्वीर शेयर कर रहे हैं। जिनके बच्चों ने बहुत अच्छा किया वाकई यह बहुत खुश करने वाली बात है और आखिर माता-पिता क्यों ना खुश हों, साल भर की मेहनत के यह फल का समय होता है। मैं भी आप लोगों की खुशी में शरीक हूँ। आप सभी बच्चों के साथ-साथ उन सारे माता-पिता को भी बधाई देती हूँ जिनके बच्चों ने बहुत अच्छा किया है परंतु यहाँ मैं कुछ और बातों को लेकर आई हूँ जिनके बच्चों ने बहुत अच्छा किया जिनके बच्चे बहुत अच्छा करते रहे हैं शुरू से उनके लिए नहीं, जिस बच्चे ने अच्छा नहीं किया, जो पढ़ने में औसत रहे हैं, निम्न रहे हैं, बहुत मेहनत करने के बावजूद भी वह अच्छा नहीं कर पाए हैं, मेरी सारी संवेदना, मेरा सारा प्यार, सारी उम्मीद उन्हीं बच्चों के साथ है ।
बोकारो में एक बच्चे ने रिजल्ट के प्रेशर में आत्महत्या कर ली । हर साल अमूमन बहुत सारे बच्चे रिजल्ट से पहले और बाद में आत्महत्या के शिकार हो जाते हैं वस्तुतः खुदकुशी नहीं करते, हमारे द्वारा ही मारे जाते हैं। प्रेशर की वजह आखिर बनता क्या है, कभी हमने सोचा कि बच्चे इतने प्रेशराइज क्यों हो जाते हैं? क्या करते हैं हम उनके साथ? यह नंबरों के चक्कर की वजह से हम अपने बच्चों को टॉर्चर करते हैं। अक्सर अभिभावक बच्चों को कहते पाए जाते हैं कि फलाने से अच्छे नंबर आने चाहिए। हम क्यों नहीं समझते हैं यह नंबरों का चक्कर हमें कहीं का नहीं छोड़ता।
आपके सामने कई उदाहरण हैं जो अच्छा नहीं स्कोर कर पाने के बावजूद आज बहुत अच्छे जगह पर हैं। आज का अच्छा नंबर आपके भविष्य को तय नहीं करता। औसत नंबर वाले भी जीवन में बहुत अच्छा करते हैं अक्सर देखा है मैंने। मैं भी पढ़ने में औसत ही थी। दुःख होता है इस बात से कि हम सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। अपने बच्चों के बारे में सोचते हैं। अपनी खुशियों के बारे में सोचते हैं। कभी अपनी खिड़की को खोलकर पड़ोस के घर की ओर भी झाँक लें, यह हम नहीं कहते कि पड़ोस का बच्चा औसत है पढ़ने में तो उसकी मन:स्थिति क्या होगी ?
हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि जो अच्छा किया वह बहुत अच्छा तो है ही परंतु जो अच्छा नहीं कर पाए हैं उसे एक स्पेशल फील दें। उन्हें एक स्पेशल वाला फील करवाएँ कि बेटा तुम स्पेशल हो क्योंकि तुमने आज अच्छा नहीं किया है इसलिए कि तुम कल बहुत अच्छा करोगे। जिस दिन हम इस बात को सोच लेंगे कि हमारे घर के बाजू वाले घर में भी बच्चे हैं तो शायद हमसे ये गलती न हो। उस माँ के बारे में सोचा कभी जिनके बेटे ने खुदकुशी कर ली उन पर क्या बीत रही होगी ? आप यह नहीं सोचते हैं मेरे बेटे ने अच्छा किया तो हम क्यों ना खुशी मनाएँ ? पड़ोष के घर में मातम पसरा है तो यह उनकी प्रॉब्लम है मुझे क्या? लोगों से जुड़िए। लोगों की परेशानी को अपनी परेशानी मानिए तभी आप मानव कहलाएँगे। बच्चों के लिए यह और भी संवेदनशील मुद्दा हो जाता है। इसलिए कोशिश कीजिए सोशल मीडिया वगैरह पर बहुत ज्यादा त्योहारी ना बनाएँ क्योंकि जो बच्चे औसत कर पाए हैं उनकी मानसिक स्थिति पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
समस्या अगर इतनी बड़ी है तो समाधान भी इसका होगा ही तो मैं आपको कुछ टिप्स दे रही हूँ जिससे आप अपने बच्चों के जीवन को सुरक्षित कर पाएँगे। मुझे पता है कि सभी माता-पिता अपने बच्चों को बहुत प्यार करते हैं, उनके जीवन को सुरक्षित करना चाहते हैं। आप भी किसी ना किसी प्रेशर से गुजरते हैं । आप कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो शायद आपको यह दिन न देखना पड़े कि आपके भी बच्चे किसी आत्महत्या जैसी चीजों के शिकार होंगे तो आगे पढ़िए समाधान-
1• जब रिजल्ट की घोषणा होने वाली हो तो आप उसके कुछ दिन पहले से ही अपने बच्चों के साथ बने रहें।
2• आप कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा वक्त आप बच्चों के साथ गुजार सकें, उन्हें अकेला बिल्कुल न छोड़ें।
3• आप बच्चों को कुछ मोटिवेशनल फिल्में या वीडियोज दिखा सकते हैं।
4• अगर आप कहीं बाहर रहते हैं तो बच्चों को दादी या नानी के घर ले जा सकते हैं ताकि उसका मन बहल सके।
5• उनसे ज्यादा से ज्यादा बात करने और घुलने-मिलने की कोशिश कीजिए ताकि वह अपने मन की बात आपको बता सके।
6• अपने बच्चों के उन दोस्तों से आप कभी कभार बात कीजिए जिसके वह बहुत करीब है जिससे वह हर बात शेयर करता है।
7• अपने बच्चों में विश्वास भी लाइए आप उनके दुश्मन नहीं बल्कि शुभचिंतक हैं।
8• हमेशा उस पर दबाव मत बनाइए उसे कभी-कभी अपने मन की भी करने की आजादी दीजिए।
9• अपने सपनों को उस पर मत डालिए कि जो मैं नहीं कर पाया तुम्हें वह करना है। उदाहरण- आप डॉक्टर बनना चाहते थे। आप बन गए इंजीनियर तो आप अपने बच्चों से यह उम्मीद मत कीजिए कि वह डॉक्टर बनकर आपके सपनों को जिएगा वह उसके खुद की जिंदगी है जिसके कुछ फैसले उन्हें खुद ही लेने दीजिए। वह जिसमें अच्छा कर सकता है, वही करने दीजिए तो रिजल्ट अच्छा ही आएगा।
10• बच्चों से बात करते वक्त हमेशा कहिए तुम्हें जितना मेहनत करना था तुमने किया अब जो भी रिजल्ट आएगा उसे सहर्ष स्वीकार करना।
11• बच्चों को जीतने के साथ हारने को भी स्वीकार करने की आदत में शामिल कीजिए।
12• बच्चों को हमेशा जीतने पर लेक्चर मत दीजिए । कभी-कभी हार जीवन के लिए सही साबित होता है ताकि हम उससे सीख लेकर और बेहतर करने के लिए उत्सुक होते हैं।
13• अपने बच्चों की तुलना आप उनके मित्रों से कदापि न करें । ध्यान रखें हर एक व्यक्ति में अलग-अलग गुण अलग-अलग क्षमता होती है।
14• माता-पिता होने के नाते आप उसे भरपूर सपोर्ट करें।
अक्सर मैं पाती हूँ कि बच्चे अपने माता-पिता से डरते हैं। आप अपने बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करें ताकि वह आपके दोस्त बनकर आपसे अपनी चीजों को शेयर कर सके और जहाँ समस्या होगी आप तुरंत उसका समाधान कर पाएँगे। अगर आप इन चीजों को अपनाएँगे तो आपको पश्चाताप करना नहीं पड़ेगा आप बेहतर कल की कल्पना कर पाएँगे। अभी के परिप्रेक्ष्य में अंकों के पीछे न भागकर आप अपने बच्चों को एक बेहतर नागरिक बनाने की सोच रखें। धीरे-धीरे दुनियाँ किस तरह बदल रही है उसका भी ध्यान रखें। पैसा ही सब कुछ नहीं होता है, पावर ही सब कुछ नहीं होता है। एक सफल जीवन जीने के लिए औसत जितना होना चाहिए, औसत अंक लाने वाले बच्चे भी वह करते हैं ।
खुश रहिए, परिवार को खुश रखिये, बच्चों के साथ खेलिए, मस्ती कीजिए, उन्हें हल्केपन में रहने दीजिए, भारी और बोझिल मत बनाइए, यही निवेदन है आपसे।
ज्योति रीता
+2 शिक्षिका
+2 लालजी उच्च विद्यालय रानीगंज अररिया
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प्रेरणार्थक
ReplyDeleteबेहद उपयोगी लेख
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।बहुत ही विचारणीय। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteDil ko chhu gayi
ReplyDeleteEk acchi soch
Dil ko chhu gayi
ReplyDeleteEk acchi soch
Very inspirational and practical
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