Sunday, 25 October 2020
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गणित क्या क्यों और कैसे-नसीम अख्तर
गणित क्या क्यों और कैसे
बहुत जरुरी होता हैं गणित,
सारे अवगुण धोता हैं गणित।
कर्त्तव्यों का बोध कराता हैं गणित,
अधिकारों का ज्ञान दिलाता है गणित।
जब लगे नामुमकिन कोई भी चीज,
उसे मुमकिन बनाने की राह दिखाता है गणित।
हम सभी जानते हैं कि शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया एवम हमारे जीवन का आधार है तथा गणित मानव मस्तिष्क की उपज है। मानव की गतिविधियों एवम प्रकृति के निरीक्षण द्वारा ही गणित का उद्भव हुआ। प्राचीन काल से ही गणित के अध्ययन तथा प्रयोगों के विभिन्न प्रमाण मिलते रहे हैं। वर्तमान युग में भी गणित विषय का अपना एक विशेष महत्व है। यह वैसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं मात्राओं, परिणामों, रूपों और उसके आपसी संबंधों, गुणों स्वभाव का अध्ययन कराने में सफल है।
20वीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ एवं दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार "गणित में हमें यह ज्ञात नहीं होता कि हम क्या कर रहे है, न ही यह ज्ञात होता है कि जो हम कर रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।
गणित की शाखाओं में- अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, बीजगणित, सांख्यिकी, कलन आदि प्रमुख है। गणित में महारत हासिल करने वाले व्यक्ति या आविष्कार करने वाले व्यक्ति को गणितज्ञ (Mathematician) कहा जाता है।
गणित अत्यंत ही आनंददायी एवम मनलुभावन विषय है परंतु आज छात्र/छात्राओं में गणित के प्रति अति अरुचि तथा उनके कौशलो में कमी पायी जा रही।
हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था में गणित प्रमुख विषयों में से एक था। वह कौटिल्य के अर्थशास्त्र में छात्रों के लिए लिपि और संख्या का ज्ञान हो, हाथी गुम्फा का आलेख हो या जैन ग्रंथों का ज्ञान हो सभी में गणित अध्ययन की बातें बताई गई है। प्राचीन काल में गणित अध्ययन का मुख्य उद्देश्य वस्तुओं के मूल्यो को ज्ञात करना एवं उसकी गिनती के साथ हिसाब रखने के लिए किया जाता था। वर्तमान युग अर्थात वैज्ञानिक युग में गणित को विद्यालयी पाठ्यक्रम में अनिवार्य (compulsory) विषय के रूप में रखा गया है फिर भी गणित विषय में हीं सर्वाधिक छात्र/छात्राएं अनुत्तीर्ण होते हैं तथा उनके दिमाग में गणित विषय के प्रति नकारात्मक सोच उत्पन्न होता रहता है जिसका प्रमुख कारण गणित के Complicated method है। आज आवश्यकता इस बात की है कि गणित विषय को किस प्रकार सरल और रुचिकर बनाया जाय ताकि छात्र/छात्राएँ आसानी से अध्ययन कर अपने अंदर कौशल (skill) का विकास कर दैनिक जीवन में उपयोग कर सके।
हमारे दैनिक जीवन में गणित का ज्ञान परम आवश्यक है। सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी ग्रह आदि की गतियों के बारे में जानने हेतु गणित उपयोगी है। द्वीपों, समुद्रों, पर्वतों, भवनों आदि के परिणाम एवं अन्य बातों की जानकारी पता लगाने के लिए भी गणित महत्वपूर्ण है। व्यवाहारिक कर्म जैसे- मापना, तौलना, गिनना, जूता बनाना, कपड़ा सिलना, कृषि कार्य करना, दवाई की खुराक आदि में भी गणित अत्यंत उपयोगी है। इस प्रकार मनुष्य में बौद्धिक एवं मानसिक विकास का आधार गणित को माना गया है। जीवन का कोई भी ऐसा पक्ष नहीं जिसमें गणित की आवश्यकता नहीं हो। पुरातन काल से ही सभी प्रकार के ज्ञान विज्ञान में गणित का स्थान सर्वोपरि रहा है--
यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।
तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्धनि स्थितम्॥
(1)गणित एक विशेष प्रकार की सोचने का दृष्टिकोण प्रदान करता है।
(2) यह एक पर्याय विज्ञान है अर्थात विज्ञान विषयों की आधारशिला है।
(3) गणित का मानव जीवन से घनिष्ठ लगाव है।
(4) यह तार्किक दृष्टिकोण पैदा करता है।
(1) अभ्यास का अभाव
(2) गणित शिक्षण के समय TLM का अभाव
(3) अच्छें शिक्षकों की कमी एवं गणित विषय के प्रति पूर्ण ज्ञान का अभाव
(4) शिक्षकों की प्रभावपूर्ण भाषा का अभाव
(5) सूत्रों को याद करने के साथ उनके अभ्यास का न होना।
(6) गणित विषय की मूल जानकारी और बुनियादी बातों की जानकारी का अभाव
(7) छात्र/छात्राओं की आर्थिक, मानसिक एवं सामाजिक परेशानियाँ आदि।
(1) गणित भय अर्थात गणित बहुत कठिन है का भय मन से बाहर निकालना।
(2) निरंतर अभ्यास की आवश्यकता
(3) गणित विषय पर प्रारंभ से ही मजबूत पकड़ बनाने की जरुरत तथा हर विषय की भांति Daily routine में शामिल करना।
(4) गणित के प्रश्नों के प्रति सकरात्मक दृष्टिकोण का विश्वास हो कि मेरे द्वारा यह प्रश्न हल हो जाएगा।
(5) गणित से मुँह न मोड़े, इसे समझें और यदि समझ में नहीं आ रहा हो तो इसे पूछने की आदत डालें।
(6) फार्मूले गणित की जान होते हैं। इसे हमेशा याद रखें।
(7) क्रमबद्ध, पुनरावृत्ति एवम ग्रुप में अध्ययन की आदत डालने की जरूरत।
रोजमर्रा की जिंदगी में गणित
हम अपने आस-पास बहुत सारी घटनाओं को रोज देखते हैं। जैसे-
(1) सुबह-सुबह अलार्म घड़ी की आवाज विद्यालय जाने वाले को जगाती हैं। पाँच बज गए अब हमें उठना चाहिए। इस तरह हमारी दिनचर्या की शुरुआत होती है।
(2) सब्जी खरीदने के लिए बाजार जाते हैं तो सब्जी वाला कहता है- "दो रुपए और दीजिए। आज सब्जी की कीमत प्रति किलोग्राम दो रुपए बढ़ गई है।
(3) एक छात्र कोल्ड ड्रिंक की दुकान पर जाकर कहता है- "मुझे दो लीटर वाली एक कोल्ड्रिंक की बोतल दीजिए। दुकानदार बोलता है कि मेरे पास दो लीटर वाली कोल्ड्रिंक की बोतल नहीं है। तत्पश्चात छात्र बोलता है ठीक है तब एक लीटर वाली एक बोतल और आधी-आधी लीटर वाली दो बोतलें आप मुझे दे दीजिए।
(4) एक पुस्तक विक्रेता की दुकान पर नजर दौड़ाते हुए एक customer कहता है--"दुकानदार"! आपने बिल के पैसे ठीक से नहीं जोड़े है। बिल 191.40 ₹ की जगह 119.40 ₹ होना चाहिए। दुकानदार बोलता है- "मुझे अफसोस है, श्रीमान!
सभी उदाहरण गणित की सार्वभौमिकता गुण को भी दर्शाते है।
नसीम अख्तर
बी॰बी॰राम+2विद्यालय
नगरा, सारण
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गणित क्या क्यों और कैसे-नसीम अख्तर
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