भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री-शुकदेव पाठक - Teachers of Bihar

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Friday, 2 October 2020

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री-शुकदेव पाठक

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री

          श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म सन 1904 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव तथा माता का नाम रामदुलारी था। लाल बहादुर शास्त्री के पिता शिक्षक थे। शास्त्री जी अपने भाई-बहन में सबसे छोटे थे इसलिए उन्हें परिवार के सभी लोग प्यार से ‘नन्हे’ कहकर ही बुलाते थे। शास्त्री जी जब 18 महीने के हुए तभी पिता का निधन हो गया, तब उनके माता जी को ननिहाल का सहारा लेना पड़ा। विधि का विधान है ऐसा कि कुछ समय बाद उनके नाना भी नहीं रहे। इस विषम परिस्थिति में उनके मौसा रघुनाथ प्रसाद ने उन लोगों की जिम्मेदारी उठाई। शास्त्री जी की प्रारंभिक शिक्षा ननिहाल में ही हुई। इसके बाद उन्होंने मैट्रिक हरीशचंद्र उच्च विद्यालय वाराणसी से पास की। उच्च शिक्षा ‘काशी विद्यापीठ’ से प्राप्त की। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने अपने जाति सूचक टाइटल ‘श्रीवास्तव’ हमेशा के लिए हटा लिया और नाम के साथ शास्त्री लगा लिया, इसके बाद शास्त्री आजीवन उनके नाम का पर्याय बन गया। 
          1928 ईस्वी में उनका विवाह ललिता देवी से हुआ जो मिर्जापुर की रहने वाली थी। शास्त्री जी के छः संतान हुए जिसमें दो पुत्रियाँ और चार पुत्र। शास्त्री जी संस्कृत से स्नातक करने के बाद “भारत सेवा संघ” से जुड़कर देश सेवा का व्रत लेते हुए अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। शास्त्री जी सच्चे राष्ट्रभक्त और गाँधीवादी थे। उनके जीवन का आदर्श सादा जीवन और गरीबों की सेवा करना था। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में उनकी सक्रिय भागीदारी रही और कई बार जेल गए। मुख्य रूप से असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च, तथा भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रहे। 9 अगस्त 1942 के दिन शास्त्री जी ने इलाहाबाद पहुँचकर गाँधी जी के “करो या मरो” के नारे को बड़े ही चतुराई से “मरो नहीं मारो!” में बदल दिया। इस आंदोलन को धार देते हुए 11 दिन तक भूमिगत रहने के बाद 19 अगस्त 1942 को शास्त्री जी गिरफ्तार हो गए। इलाहाबाद में रहने के क्रम में उनकी निकटता नेहरू जी से हुई। नेहरू जी के शासनकाल में वे गृह मंत्री के प्रमुख पद तक पहुँचे और नेहरू जी के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। 
          11 जनवरी 1966 की रात ‘ताशकंद समझौते’ के बाद उसी रात संदिग्ध हालत में उनकी मृत्यु हो गई। उनका अंतिम संस्कार शांतिवन में राजकीय सम्मान के साथ यमुना किनारे किया गया। जहाँ अंतिम संस्कार हुआ उस स्थल का नाम ‘विजय घाट’ रखा गया।

शास्त्री जी की मुख्य उपलब्धियाँ–

1. पहली बार महिला कंडक्टर की नियुक्ति अपने परिवहन मंत्री के रूप में किए। 
2. परिवहन मंत्री के रूप में ही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज की जगह पानी की बौछार करने का आदेश दिया।
3.  श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिए।
4.  खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए हरित क्रांति को बढ़ावा दिए।
5. भारतीय–तमिलों की स्थिति सुधार के लिए श्री मावो–शास्त्री समझौता ।
6. मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति।
7.  ‘जय जवान जय किसान’ का अलख जगाया ।
8. 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की महान जीत दिलाई।
    
        

✍️ शुकदेव पाठक
मध्य विद्यालय कर्मा बसंतपुर
कुटुंबा, औरंगाबाद


2 comments:

  1. बहुत-बहुत सुन्दर और ज्ञानवर्धक!

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  2. बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक आलेख 👌👌👌👌👌👌👌👌👌

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