हमारे बच्चे और उनके चाचा नेहरू-राकेश कुमार - Teachers of Bihar

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Friday 13 November 2020

हमारे बच्चे और उनके चाचा नेहरू-राकेश कुमार

हमारे बच्चे और उनके चाचा नेहरू

          जी हाँ हमारे बच्चे। बच्चे देश के सुनहरे भविष्य होते हैं और अगर एक शिक्षक की बात करें तो बच्चे उनकी उस दुनियाँ में शामिल हैं जिनके सुनहरे भविष्य की कल्पना हीं शिक्षक का ध्येय या कहें तो उनकी जिंदगी है। यह आलेख बाल दिवस विशेष है और लेखनी एक शिक्षक की है तो लाजमी है कि इस आलेख में दोनों के बीच के संबध की चर्चा जरूर होगी
          अक्सर हमारे शिक्षण के दौरान कुछ सन्दर्भ ऐसे भी परिलक्षित होते हैं जो किसी भी दिवस विशेष की स्वाभाविक समझ को यथार्थ करती है। एक बच्चे का वो प्रश्न सर हमलोग का जन्मदिन तो प्रतिवर्ष घर में मनाया जाता है फिर आपलोग ( शिक्षक ) हम सभी के लिए बाल दिवस क्यों मनाते हैं, हमलोग आपलोग के लिए शिक्षक दिवस मनाते हैं इसलिए ? प्रश्न रोचक लेकिन प्रश्न तो था और प्रश्न का जबाब भी देना था। मेरे मुख पर एक दबी हंसी थी। मैंने (शिक्षक) कहा आशीष (प्रश्न करने वाले बच्चे का नाम) ऐसी कोई बात नहीं। शिक्षक और छात्र एक-दूसरे के पूरक होते हैं। तुमलोग शिक्षक दिवस मनाकर अपने शिक्षक के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हो और हमलोग बाल दिवस मनाकर तुमलोग के प्रति अपने स्नेह को प्रदर्शित करते  हैं। लेकिन ये एक सामान्य सा जबाब हुआ इससे जुड़े अन्य तथ्य भी  है क्योंकि किसी भी अवसर को हमलोग जब बड़े स्तर पर आयोजित करते हैं तो उसके पीछे  एक ठोस आधार होता है।
          बाल दिवस मनाने का एक मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिकारों, देखभाल और शिक्षा के प्रति लोगों की जागरूकता को बढ़ाना। हम जानते हैं कि बच्चे देश के भविष्य हैं, सफलता और विकास की कुंजी जो नई तकनीक और तरीकों से देश का नेतृत्व करता है। 
हम सभी इस तथ्य से वाकिफ हैं कि बच्चों  में कुछ सहजात गुण होता है जो कक्षा के अंदर बच्चों के विकास में हमारी मदद करता है, उन्हीं में से एक प्रमुख गुण बच्चों की सक्रियता है जो हमें बच्चों की रुचि जानने में हमारी मदद करती है। इनसब अवसरों (बाल दिवस) पर बच्चों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया, रुचि, जिज्ञासा परिलक्षित होती है। बाल दिवस जैसे समारोह पर बच्चों के बीच विभिन्न तरह की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जो बच्चों के गैर-शैक्षणिक विकास में अत्यंत हीं सहायक होता है और हमें बच्चों के विभिन्न रुचि एवं प्रतिभा का भी ज्ञान होता है और बच्चों की रूचि को ध्यान में रखते हुए हम  उनके सर्वांगीण विकास की ओर बढ़ते हैं जो इस तरह के आयोजन की सबसे खूबसूरत पहलू होता है क्योंकि बच्चों के सन्दर्भ में हम (शिक्षक) हर तरह के आयोजन को अवसर में तब्दील करते हैं। अगर हम कहें या यह देखते हैं कि भारत में जितने भी महापुरुष हुए उन सभी की एक दूर दृष्टि थी, एक उद्देश्य था अपने देश के भविष्य हेतु। खासकर बच्चों एवं उनके शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के सुखद बचपन और सुखद शैक्षिक माहौल ताकि बच्चों का स्वाभाविक एवं सर्वांगीण विकास हो। उनकी शिक्षा उन्हें बोझिल न लगे एवं विद्यालय में सहज महसूस करें। बच्चों के प्रति इसी तरह का सोच रखने वाले एवं उनके प्रति (बच्चों) अगाध प्रेम रखते थे बच्चों के चाचा नेहरू।
          चलिए उस शख्सियत की भी चर्चा कर लें जिनके जन्मदिन के अवसर पर बाल दिवस मनाया जाता है।
बच्चों के चाचा नेहरू और हमारे पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ। नेहरू जी का जन्म एक सभ्रान्त परिवार में हुआ। उनके पिताजी एक नामी वकील थे। उनका बचपन काफी शानोशौकत से बीता। नेहरू जी को दुनियाँ के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। इन्होंने देश की आजादी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नेहरू जी शुरुआत से हीं गाँधीजी से काफी प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ये लगभग 9 बार जेल भी गए जो इनके देशप्रेम की भावना को दर्शाता है। इन्होंने विश्व भ्रमण भी किया और इनकी पहचान एक अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में भी बनी। इनके दुनियाँ के ज्ञान से गाँधीजी भी प्रभावित थे। कहा जाता है कि 1947 में जब भारत को आजादी मिली तब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभ भाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सबसे अधिक मत मिले थे लेकिन गाँधीजी के कहने पर दोनों ने अपने नाम वापस ले लिये और भारत को प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू मिले। इनके कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे।
          बच्चों के प्रति इनका अगाध प्रेम था। बच्चों के प्रति विशेष स्नेह और लगाव था। ये बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे। इनके मतानुसार बच्चे हर देश के भविष्य और उसके तस्वीर होते हैं। बच्चे हीं किसी देश के आने वाले भविष्य को तैयार करते हैं। बच्चों के प्रति इनके विशेष प्रेम के कारण हीं इनके जन्मदिन पर बाल दिवस का आयोजन किया जाता है। हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री का जन्म जिस महीने में हुआ था उसी महीने के 20 तारीख को विश्व बाल दिवस का भी  आयोजन किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बच्चों को कुछ अधिकार भी दिए गए हैं - 
1.जीवन जीने का अधिकार
2.विकास का अधिकार
3. सुरक्षा का अधिकार
4. सहभागिता का अधिकार
          ये सब अधिकार बच्चों को प्रदान किया गया है। हम सभी का यह कर्तव्य एवं दायित्व है कि बच्चों के इन अधिकारों की रक्षा करें साथ हीं साथ जिस भविष्य की सुकल्पना हमारे महापुरुषों ने देखा है उसमें अपने योगदान को सार्थकता प्रदान करें साथ हीं साथ बच्चों के चाचा नेहरू के दृष्टि की असली संदेश जो कि हमारे बच्चों को सुरक्षा एवं प्रेमपूर्ण वातावरण उपलब्ध कराना है जिससे उन्हें पर्याप्त एवं समान अवसर मिले, जिसके जरिए वे प्रगति करें और देश की प्रगति में बच्चे (देश का भविष्य ) अपना योगदान दे सकें  और हम सभी ( शिक्षक) उनके मार्गदर्शक की भूमिका का निर्वहन कर चाचा नेहरू के सपनों का भारत बनाने में सहायक बन राष्ट्र निर्माता (शिक्षक का उपनाम) को सार्थकता प्रदान करें।
सभी बच्चों को बाल दिवस की असीम शुभकामना।


राकेश कुमार 
मध्य विद्यालय बलुआ
मनेर पटना

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