शिक्षक की प्रभावशीलता-अमरेन्द्र कुमार - Teachers of Bihar

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Tuesday 3 November 2020

शिक्षक की प्रभावशीलता-अमरेन्द्र कुमार

शिक्षक की प्रभावशीलता

          मूल्य वह ताना-बाना है जिससे व्यक्ति के चरित्र का निर्माण होता है। काया रूपी करघे पर यह ताना-बाना चलता रहता है और जो वस्त्र बुनकर तैयार होता है, वह है चरित्र। यहाँ बुनने वाला कौन है? विवेक रूपी जुलाहा।
मन, बुद्धि, हृदय का समन्वित रूप ही विवेक है। जैसा विवेक होगा वैसा ही सूत पसंद करेगा, काया रूपी करघे पर चढ़ आएगा। वह सूत देने वाला कौन है? वातावरण, अध्यापक इस वातावरण का ही सजीव अंग है। पाठ्य पुस्तकें भी इस वातावरण का ही अंग है।
          जैसे पर्यावरण प्राकृतिक वातावरण का सशक्त रूप सूर्य पिंड है वैसे ही स्कूली वातावरण में अध्यापक सबसे सशक्त माध्यम है जैसे सूर्य, जल और बादल में संयोजन स्थापित करता है। वर्षा ऋतु के मृदुल, मधुर जल की प्राप्ति हेतु पृथ्वी की प्यास बुझाने हेतु, धरा पर हरियाली-फूलवारी लाने हेतु। सूर्य का इसमें अपना कोई स्वार्थ नहीं है। वह तो उसे करना है, वह तो कर्मवीर है, वह तो शहंशाह है।
''चाह  गई, चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह, 
जिनको कछु न चाहिए, तेहि शहंशाह।''
वैसे ही अध्यापक संयोजन का काम करता है- बालक और वातावरण के संयोजन का। यह संयोजन कार्य अति महत्वपूर्ण है। वह बालक को वातावरण का दास नहीं बनाता। वह वातावरण, जिसमें सत, रज, तम तीनों तत्व हैं। इसमें रज, तम की शक्तियों को वह सत में परिणत कर देता है। यही सत, यही अपनी आत्मा का सार वह बालक में संप्रेषित कर देता है। अध्यापक का यह विद्युत प्रवाह ही बालक में विद्युत शक्ति बनकर प्रवाहित होता है। इस कार्य को गुरु के अलावा कोई नहीं कर सकता। गुरु की क्षमता, योजक-शक्ति का गुणगान श्रुति भी करती है। जिस बालक को ऐसा गुरु, ऐसा अध्यापक मिल जाता है उसका जीवन धन्य हो जाता है। उसका हृदय-पुष्प सुरभित हो जाता है। उसका विवेक पूर्णमासी का चाँद बन अपनी कौमुदी से जगत को झीर गुण प्रदान करता है। अध्यापक का व्यक्तित्व, उसका अपना चरित्र, उसकी वाणी, उसका आचरण, विचार सोच की दिशा, जीवन के प्रति उसका निर्लेप हाव-भाव दर्शन, निष्ठा, काम से जोड़ने की प्रवृत्ति, उसकी कथनी-करनी का साम्य उसके मूर्त-अमूर्त भाव विद्यार्थी पर प्रत्यक्ष संप्रेषण बनकर काम करते हैं। संप्रेषण की धारा के अति तीव्र होने पर विद्यार्थी इसमें साथ-साथ तैर नहीं पाते, वे किनारे पर पड़े भर रह जाते हैं। यह संप्रेषण-धार उन्हें गीला तो करती है पर भीगो  नहीं सकती। 
          अंत में शिक्षकों की योग्यता, शालीनता के बारे में इतना कहना पर्याप्त होगा कि आकाश में असंख्य टिमटिमाते तारों के बीच चंद्रमा की ज्योत्सना का जो प्रभाव एवं महत्व होता है, वही प्रभाव एवं महत्व शिक्षा जगत में विद्यार्थियों के बीच शिक्षक की योग्यता का होता है।


अमरेंद्र कुमार 
प्राथमिक विद्यालय भईया  टोला दरिहट 
डिस्ट्रिक्ट मेंटर टीचर्स ऑफ बिहार
रोहतास

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