कोरोना के बाद विद्यालयी शिक्षा की तैयारी-चंद्रशेखर प्रसाद साहु - Teachers of Bihar

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Tuesday 5 January 2021

कोरोना के बाद विद्यालयी शिक्षा की तैयारी-चंद्रशेखर प्रसाद साहु

कोरोना के बाद विद्यालयी शिक्षा की तैयारी

          कोरोना वायरस (कोविड-19) की जानलेवा संक्रमण से विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को बचाने के लिए मार्च 2020 से ही सभी प्रकार के विद्यालय बंद कर दिए गए थे। दस महीने तक विद्यालय बंद रहने के बाद जनवरी में 9वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए उच्च एवं उच्चतर विद्यालय खोले गए हैं, इसके बाद अनुकूल परिणाम प्राप्त होने के बाद कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों के लिए प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों के खुलने की संभावना है।
          ऐसे में कई महीनों के बाद विद्यालय में शैक्षिक वातावरण बनाना निःसंदेह ही एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। विद्यार्थियों के लिए विद्यालय आना एक नया अनुभव होगा। इस अनुभव को विद्यालयी गतिविधियों से जोड़ना शिक्षकों के लिए एक जिम्मेवारीपूर्ण कार्य है। इन बारीकियों के प्रति विद्यालय प्रधान एवं विद्यालय प्रबंधन को सक्रिय एवं सजग रहना आवश्यक है। ऐसे में विद्यालय में एक सुरक्षित वातावरण बनाना विद्यालय के लिए पहला कार्य है। एक ऐसा वातावरण जहां कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावना अति न्यून हो। इसके लिए विद्यालय खुलने के पहले संपूर्ण तैयारी कर लेना आवश्यक है - 
1. इसके लिए विद्यालय प्रधानों, शिक्षकों, अभिभावकों एवं अन्य लोगों का आपस में व्यापक विचार-विमर्श करना आवश्यक है।
2. विद्यालय परिसर, वर्ग कक्ष, शौचालय आदि पूरी तरह स्वच्छ रहना नितांत जरूरी है। इसके लिए पूरे विद्यालय को सेनीटाइज कराना अनिवार्य है, विशेषकर वहॉं जहॉं कोरोना काल में आइसोलेशन अथवा क्वारंटीन सेंटर बनाया गया था।
3. विद्यालय में सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए हाथ धोने की उचित व्यवस्था करना आवश्यक है। पर्याप्त मात्रा में साबुन भी उपलब्ध होना जरूरी है।
4. शिक्षकों एवं बच्चों के लिए पर्याप्त मात्रा में मास्क उपलब्ध होना तथा सभी के द्वारा चेहरे पर मास्क लगाना अनिवार्य करना।
5. विद्यालय में सामाजिक दूरी का पालन करना। इसके लिए क्रमांकवार या कक्षावार विद्यार्थियों को  विद्यालय आने के लिए नियम बनाना ताकि बच्चे कक्षा में समुचित दूरी पर बैठ सके।
6. विद्यालय में कक्षा संचालन शुरू करने के पहले बच्चों के माता-पिता/अभिभावकों के साथ सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा करना कि विद्यालय आने के पहले बच्चे के लिए कौन-कौन सी तैयारी कर लेना आवश्यक है।
7. विद्यालय नहीं आने वाले विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक योजना बनाना। इसके अंतर्गत व्हाट्सएप आदि समूह का गठन कर अभिभावकों के साथ संवाद स्थापित करना। साथ ही होमवर्क आदि का पेपर शीट  साझा करना।
8. जहां तक संभव हो बच्चे व्यक्तिगत परिवहन/ साधन से ही विद्यालय आएं।
9. बुखार/खांसी आदि से ग्रस्त शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए स्कैनिंग की व्यवस्था करना। संभव हो तो प्रवेश के समय में ही प्रत्येक शिक्षक व विद्यार्थियों का रोजाना स्कैनिंग करना ।
10. चेतना-सत्र, प्रार्थना-सभा, बैठक अथवा खेल-गतिविधि आयोजित करने से परहेज करना ताकि सामाजिक दूरी का पालन किया जा सके।
11. विद्यालय में प्रमुख स्थानों पर कोरोना वायरस से सुरक्षा संबंधित उपायों के बारे में पोस्टर चिपकाना अथवा दीवार पर चित्रांकन करवाना।
12. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए बच्चों को जागरूक करना। इसके अंतर्गत बच्चों से स्लोगन, कविता, लेख चित्र आदि बनवाना।
13. मध्याह्न भोजन की तैयारी में काफी सजग और सतर्क रहना। रसोइयों को मास्क पहनना, लगातार हाथ धोना, अपना सिर ढंक कर रखना आदि अनिवार्य है।
14. शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के लिए विशेष तैयारी करना। इसके अंतर्गत वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर निर्धारित करना आवश्यक है।
15. विद्यालय में उपलब्ध शैक्षिक एवं गैर शैक्षिक संसाधनों का कार्य स्वरूप में व्यवस्थित रहना जरूरी है।
          हालांकि शिक्षण-अधिगम में हुई क्षति की प्रतिपूर्ति के लिए ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया गया था परंतु इससे कुछ ही विद्यार्थी जुड़ सके और इसका लाभ उठा सके। अधिकांश विद्यार्थी जिनके पास आई.सी.टी. के संसाधन उपलब्ध नहीं थे, जो पूरी तरह सरकारी विद्यालय में आमने-सामने शिक्षा पर ही निर्भर थे, उन्हें ऑनलाइन शिक्षण का कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे बच्चों के लिए विद्यालय में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया प्रारंभ करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। एक ही कक्षा के विद्यार्थियों में अधिगम का स्तर भिन्न-भिन्न होता है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों का यह दायित्व बढ़ जाता है कि अधिगम की गुणवत्ता बनाए रखते हुए कक्षा में शिक्षण-अधिगम कार्य करें। इसके लिए विद्यालय वातावरण को तनावमुक्त एवं मनोरंजक बनाना आवश्यक है। ऐसे वंचित बच्चों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर कई पहलुओं पर विचार करने की जरूरत है-
 1. विद्यालयी बच्चों के स्वास्थ्य, कल्याण और स्वच्छता को प्राथमिकता देना।
2. विद्यालय में तनावमुक्त एवं मनोरंजक अधिगम का वातावरण बनाना।
3. रोचक एवं आनन्ददायक शिक्षण-अधिगम विधियों का उपयोग करना।
4. अनुभवात्मक अधिगम पर बल देना।
5. स्वाध्याय के लिए प्रोत्साहित करना।
6. अधिगम के परिणामों को सुनिश्चित करना। 
7. आई. सी. टी. संसाधनों का इस्तेमाल करना। 
8. प्रत्येक विद्यालय में परामर्श सेवाएं मुहैया करना।


चंद्रशेखर प्रसाद साहु
कन्या मध्य विद्यालय कुटुंबा       
औरंगाबाद ( बिहार)
   

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