कक्षा में टी. एल. एम. का इस्तेमाल जरूरी है-चंद्रशेखर प्रसाद साहु - Teachers of Bihar

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Sunday 21 February 2021

कक्षा में टी. एल. एम. का इस्तेमाल जरूरी है-चंद्रशेखर प्रसाद साहु

कक्षा में टी. एल. एम. का इस्तेमाल जरूरी है

          शिक्षण अधिगम सामग्री ( टी. एल. एम. ) शिक्षक एवं विद्यार्थियों के लिए लाभदायक है। यह शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाने में प्रभावी है। इसकी सहायता से शिक्षकों को अवधारणा स्पष्ट करने में सुविधा होती है। विद्यार्थी भी इन सामग्रियों के अवलोकन में रुचि लेते हैं। कक्षा में टी. एल. एम. का इस्तेमाल बच्चों के लिए आकर्षक एवं बोधगम्य होता है। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में टी. एल. एम.के उपयोग से गुणवत्तापूर्ण अधिगम की संप्राप्ति होती है। इसके माध्यम से बच्चे आसानी से सीखते हैं। यह शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवं जीवंत बनाने में सहायक होती है। इसका इस्तेमाल कर शिक्षक विषय-वस्तु को स्पष्टता के साथ बच्चों समझा पाते हैं। 
          यदि अवलोकन में एक से अधिक ज्ञानेंद्रियों का प्रयोग होता है तो उस स्थिति में गुणवत्तापूर्ण अधिगम होता है। टी. एल. एम. को देखने में बच्चे आंख, कान, त्वचा आदि ज्ञानेंद्रियों का प्रयोग एक साथ करते हैं। इस दशा में अधिगम प्रभावी, रुचिकर एवं आनंददायक हो जाता है। शिक्षक अन्वेषी प्रवृत्ति का होता है। वह तथ्यों एवं अवधारणाओं को सुगमता से स्पष्ट करने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों एवं वस्तुओं का इस्तेमाल करने की दिशा में सोचता है। वह अन्य सहायक वस्तुओं को ढूंढता है। अपनी शिक्षण प्रक्रिया में गति लाने के लिए एवं अधिगम को प्रभावोत्पादक बनाने के लिए शिक्षण अधिगम सामग्रियों  का निर्माण करता है और उसका इस्तेमाल करता है। टी. एल. एम. के निर्माण एवं उसके उपयोग में शिक्षकों की रुचि होना स्वाभाविक है। वह पाठ्यवस्तु के अनुरूप शिक्षण अधिगम सामग्रियों का चयन करता है और निर्माण करता है। टी .एल .एम. निर्माण न्यून व्यय अथवा शून्य व्यय पर किया जा सकता है। इसके निर्माण में अधिक राशि व्यय करने की दरकरार नहीं होती है। 
1. पाठ्य - वस्तु के अनुरूप होना चाहिए।
2. न्यून अथवा शून्य व्यय पर निर्मित होना चाहिए।
3. शिक्षक- शिक्षिका के द्वारा स्वनिर्मित होना चाहिए।        
4. रोचक एवं आकर्षक होना चाहिए।
5. भंडारण एवं निदर्शन  में सहज होना चाहिए।
6. शारीरिक, मानसिक एवं पर्यावरणीय नुकसान पहुंचाने वाली सामग्री नहीं होनी चाहिए।
1. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवं आनंददायक बनाने  के लिए
2. कक्षा के वातावरण को अधिगम के लायक एवं सरस बनाने के लिए
3. अधिगम को स्थायी गुणवत्तापूर्ण एवं प्रभावोत्पादक बनाने के लिए
 4. पाठ्य वस्तुओं के तथ्यों अथवा अवधारणाओं को आसानी से स्पष्ट करने के लिए
5. शिक्षण प्रक्रिया में समय का बचत करने के लिए 
6. बच्चों को सक्रिय बनाने के लिए एवं उनमें तेजी से अधिगम होने के लिए 
7. बच्चों को पाठ्य - वस्तु की ओर एकाग्र एवं आकर्षित करने के लिए 
8. जटिल विषय-वस्तु को सरलता से समझाने के लिए 
9. अमूर्त अवधारणाओं को मूर्त स्वरूप में निदर्शन करने के लिए
          प्राथमिक कक्षाओं के लिए टी. एल. एम. का रोचक एवं आकर्षक होना जरूरी है। इन कक्षाओं में शिक्षक अपनी शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में आस-पास की वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं जिनसे बच्चे पूर्व में पूर्णतया अथवा अंशतः परिचित होते हैं। ऐसे वस्तुओं से विद्यार्थी रुचि पूर्वक जुड़ जाते हैं तथा वर्ग कक्ष में देखना उनके लिए रोचक एवं आनंददायक हो जाता है।
1. आस-पास की चीजें यथा- माचिस की तिल्ली, कंकड़, मिट्टी की आकृतियां, पौधे, फूल, पत्ती, घरेलू चीजें आदि।
2.  मिट्टी अथवा कागज के बने खिलौने
3. फ्लैश कार्ड
4. चार्ट पेपर, मोटा कागज, कार्ड बोर्ड पर बने चित्र 
5. दीवार पर बने आकर्षक चित्र। जैसे- हिंदी एवं अंग्रेजी वर्णमाला से जुड़े चित्र, दिन, महीना, सप्ताह आदि का नाम।  फल, सब्जी, पशु-पक्षियों का चित्र, संख्यांक आदि का दीवार पर चित्रांकन
6. चित्रोंवाली पुस्तक
7. टी.वी., प्रोजेक्टर आदि के माध्यम से चित्र- कथा का  फ़िल्म, फोटो आदि दिखाना
1. श्रव्य सामग्री- रेडियो, टेप रिकॉर्डर, ग्रामोफोन आदि।
2. दृश्य सामग्री- चित्र, मानचित्र, ग्लोब,  श्यामपट्ट, मॉडल, चार्ट पेपर, पोस्टर, फ्लैशकार्ड, फ्लेनिल बोर्ड, कार्टून, चित्रोंवाली पुस्तक, दीवारों पर चित्रांकन, फिल्म स्लाइड आदि। 
3. श्रव्य-दृश्य सामग्री-  टेलीविजन, प्रोजेक्टर, फिल्म, नाटक, कठपुतली आदि।
           कक्षा में रोचक एवं आनंददायक वातावरण  के निर्माण के लिए टी. एल. एम. का इस्तेमाल जरूरी है। गुणवत्तापूर्ण अधिगम की संप्राप्ति के लिए शिक्षकों को इसका उपयोग अवश्य करना चाहिए।


चंद्रशेखर प्रसाद साहु
कन्या मध्य विद्यालय कुटुंबा औरंगाबाद (बिहार)

3 comments:

  1. बहुत-बहुत सुंदर और अनुकरणीय!

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  2. अति आवश्यक रचना।
    धन्यवाद !

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