Friday, 16 April 2021
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बाल मति का पिटारा-मो. जाहिद हुसैन
बाल मति का पिटारा
भानुमती का पिटारा तो सुना है, जिसमें वह सब कुछ होता है जो हमें चाहिए। बाल मति वास्तव में बच्चों की मती एवं गति है, जिससे वे अधिकांश चीजों को सीख सकते हैं। इस पिटारे को बनाने में जितनी भूमिका बच्चों की है, उतनी ही जिम्मेदारी शिक्षकों की है। अलबत्ता इसके उपयोग में शिक्षक की भूमिका सुगम कर्ता की हो सकती है। यह पिटारा जादूगर के थैले से कम नहीं है जिसे लोग उत्सुकता से देखते हैं कि जादूगर आखिर अपने पिटारे से क्या निकलता है। पिटारा का निर्माण शिक्षण-अधिगम सामग्री की तरह बिना खर्च या कम खर्च में बनाया जा सकता है। अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं और रैपर्स से हम कहानी, कविता, पहेली, चित्र, मत्थापच्ची, प्रश्नोत्तरी, सामान्य ज्ञान, सामान्य विज्ञान, छंद, संवाद, प्रेरक वाक्य, प्रेरक प्रसंग, प्रेरक कहानी, नैतिक कहानी, एकांकी, नाटक, यात्रा वृतांत, आत्मकथा, संस्मरण, साक्षात्कार, हास्य-व्यंग, निबंध, पत्र, डायरी लेखन, जीवनी एवं रिपोर्ताज आदि को कैंची से काट-काटकर अलग कर सकते हैं और उसे अलग-अलग गत्तों पर गोंद से साट सकते हैं जो एक पुस्तक का रूप ले लेगा जिसे कोई भी, कभी भी बारी-बारी से पढ़ सकता है।
एक थैला कागजों की मदद से बनाया जा सकता है या फिर कपड़े से जो पर्यावरण हितैषी हो और इसमें स्वनिर्माण या क्रय की चीजों को रखे जा सकते हैं। ऐसी-ऐसी चीजों को रखा जा सकता है जो शिक्षण में सहायक हों, यथा-विभिन्न तरह के कोलाज, चित्रों का संग्रह, स्वनिर्मित खिलौने के टेरी कोटा (आग में पका हुआ ), वर्णमाला, वाक्यांश, वाक्य, छोटे-छोटे स्वनिर्मित एवं क्रय किए गए मॉडल, मूर्तियां, लूडो, गणित लूडो, गिनतारा, मिट्टी की गोलियां, शतरंज, व्यापारी (खेल सामग्री, जिसमें चीजों को खरीद-बिक्री की जाती है), बाल पुस्तक, पाठ्यपुस्तक, कागज की आकृतियां, स्केच, स्केल, धागा, रंग बिरंगे कागज और यथासंभव जो भी थैले में डाला जा सके।
पिटारा बनाने से महत्वपूर्ण है- इसका उपयोग। मानो कि एक स्केल आप पिटारा से निकालना चाहते हैं - बूझो तो जानें। क्या यह लंबा है ? हां। क्या बेलन है? नहीं। यह पेंसिल है: नहीं। यह धातु है या अधातु है। यह अधातु है। कलम है: नहीं। क्या मार्कर है? नहीं। उसका उपयोग किस विषय में होता है: गणित में खासतौर से। क्या स्केल है? हां, यह प्लास्टिक का स्केल है। बच्चे भी शिक्षक से पिटारे की चीजों को निकालवा सकता है। आपके पास कितने खेल सामग्री हैं। उत्तर: तीन। कौन-कौन आकार का है? शिक्षक का उत्तर : गोलाकार, घनाभाकार एवं घनाकार। क्या उसमें गेंद भी है? हां। शिक्षक गेंद को बाहर निकालते हैं। क्या उसमें शार्पेनर है? नहीं। क्या उसमें रबर है? हां। शिक्षक रबर को बाहर निकालते हैं। अब बताओ अंतिम चीज क्या है? लूडो की गोटी है। हां, लूडो के पाशे को शिक्षक बाहर निकालते हैं। यह बुद्धि परीक्षण हेतु बहुत अच्छी शिक्षण अधिगम सामग्री आधारित गतिविधि है।इसे भाषा कौशल के विकास में भी खूब इस्तेमाल किया जा सकता है। किस चीज का इस्तेमाल किस पाठ्यवस्तु के लिए करें इसकी समझ एवं कला शिक्षकों के पास होनी चाहिए। मकसद है- सीखना-सिखाना।
गणित लूडो बनाने की विधि बहुत आसान है। कैलेंडर से विभिन्न अंकों को काट लीजीए। फिर एक को छोड़कर किसी भी अंक के वर्ग, जितने हों, उतने खाने कार्डबोर्ड या गत्ते पर बना लीजिए। उनमें 9 खाने, 16 खाने या 25 खाने बना सकते हैं। खानों में 1 से 9 तक या 1 से 1 तक या फिर 1 से 25 तक के अंको को लगातार या जैसे आप चाहे साट दीजिए। इस गणित लूडो खेल से क्या सिखाना चाहते हैं। यह खेलने-खेलाने वाले पर निर्भर करता है कि वे क्या सिखाना चाहते हैं। इससे जोड़, घटाव, गुणा, भाग आदि अवधारणाओं की पक्कीकरण की जा सकती है। माना कि पांच पासे चार लिखे खाने में गिरा है तो जोड़ के लिए= 5+4=9 होगा। घटाव के लिए= 5-4=1 होगा। गुणा के लिए= 5×4=20 होगा। भाग के लिए= 5÷4=1.25 होगा। यह गणित सिखाने की बहुत अच्छा शिक्षण अधिगम सामग्री है।
तालिमी लूडो से वर्णमाला से शब्द, शब्द से वाक्यांश, वाक्यांश से वाक्य, वाक्य से अनुच्छेद एवं कहानी निर्माण आदि में इस्तेमाल किया जा सकता है। विभिन्न मॉडल या खिलौने से शब्दार्थ सिखा सकते हैं या शिक्षण-अधिगम सामग्री आधारित गतिविधि कराकर शिक्षक बहुत कुछ सिखा सकते हैं। ठोस वस्तुओं से सीखना टिकाऊ होता है। संदर्भानुसार भाषा निकलती है। तालिमी ताश सामान्य ज्ञान, सामान्य विज्ञान, गणित एवं भाषा सिखाने में इस्तेमाल किया जाता है। ताश फेंकते हैं। उसमें लिखा होता है। ताजमहल कहां है? यदि उत्तर आगरा है तो 1 अंक दिए जाएंगे। नहीं तो शून्य। गोलघर कहां है? पटना में। नहीं बताने पर हार जाते हैं। बता देने पर जीत जाते हैं। यह हार-जीत का खेल बड़ा रोचक होता है। आप जो चाहे सिखा सकते हैं। यदि एक बच्चा द्वारा 5 अंकों वाली ताश फेंके गए। दूसरा बच्चा 6 अंकों वाली ताश फेंका और वह पहले वाले बच्चे से पूछेगा कि दोनों का गुणा कितने होते हैं। यदि वे 30 बता देता है तो वह पास हो जाता है, नहीं तो उसे शून्य अंक मिलता है। इस तरह यह जोड़, घटाव, गुणा, भाग सिखाने में भी सहायक है।
बस, पिटारे से वस्तुओं को निकालकर सिखाने का हुनर चाहिए। यदि शिक्षकों में ज्ञान, कौशल एवं व्यवहार होंगे तभी इन चीजों को बच्चों में ला सकेंगे। पिटारा एक दमदार TLM माना जा सकता है जो हुनरमंदों के लिए शिक्षण-अधिगम में भानुमती का पिटारा ही साबित होगा। "बाल मति का पिटारा" स्वनिर्मित अनुपम शिक्षण-अधिगम सामग्री होगी इससे सभी चीजें सिखाई जा सकती है केवल शिक्षकों में महारत होनी चाहिए।
मो. जाहिद हुसैन
उत्क्रमित मध्य विद्यालय मलहबिगहा, चंडी, नालंदा
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