पढ़ने की कोई उम्र नहीं - श्री विमल कुमार - Teachers of Bihar

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Sunday, 23 October 2022

पढ़ने की कोई उम्र नहीं - श्री विमल कुमार

एक मनोविश्लेषणात्मक लेख।

बाल विकास मनोविज्ञान के अंतर्गत जब बच्चा जन्म लेता है तो वह सबसे पहले रोना,चूसना और कपड़े गीला करना ही जानता है।उसके बाद बालक जब  शैशवावस्था में होता है तभी से माँ के द्वारा बच्चे को सीखाने का प्रयास किया जाता है।उसके बाद धीरे-धीरे बालक समाज में आता है तथा समाज के लोगों से चलना,बोलना,अच्छे व्यवहार करने के साथ-साथ प्रेम, नैतिकता,अनुशासन,सहयोग  तथा जीवन में अच्छा करने की बातों को सीखता है।उसके बाद वह धीरे-धीरे विद्यालय में आकर  अपने गुरुजनों से मिलता है जहाँ उसकी मुलाकात अपने भाग्यनिर्माता यानि गुरुदेव से होती है।

आज के समय में जब किशोरावस्था अपनी तबाही पर है तथा पश्चिमीकरण एवं आधुनिकता की दौड़ में कराह रहा है,ऐसी परिस्थिति में बहुत सारे बच्चे जो कि पढ़ने-लिखने का प्रयास बहुत ध्यान से करते हैं तो बहुत सारे लोग पठन-पाठन करना छोड़ देते हैं,जो बहुत अफसोस की बात है।

 मेरा यह आलेख"पढ़ने की कोई उम्र नहीं" जीवन की सकारात्मकता को इंगित करता हुआ लोगों को अधिक-से-अधिक शिक्षा प्राप्त करने की ओर प्रोत्साहित करता है।जीवन अधिक-से-अधिक शिक्षा प्राप्त करने का ही नाम है,जिसने इस धरा पर जन्म लेकर शिक्षा प्राप्त नहीं की,अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ाया,तरक्की नहीं की तो फिर उसके जन्म लेने का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है।मुझे तो लगता है कि विश्व की सारी समस्याओं की जननी अशिक्षा ही है।साथ ही जिसने मानव जन्म लाकर शिक्षा ग्रहण नहीं की उसका जीवन मानो अधूरा सा लगता है।चूँकि किसी भी कार्य को जब आप करेंगे तो जीवन में उसके आनंद का पता चलेगा,ठीक वैसा ही जब पानी में तैरने वाला धीरे-धीरे गहरी पानी की ओर जाता है तो उसे तैरने में ज्यादा आनंद आता है।

मुझे लगता है कि"पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती"है जैसे जब किसी "कुआँ के मेंढ़क को तालाब में छोड़ा जाता है तब उसको तैरने का मजा आता है"।उसी प्रकार जब मैंने"नालंदा खुला विश्वविद्यालय"से "शिक्षा में स्नातकोत्तरके द्वितीय वर्ष" की परीक्षा दे रहा था तो वहाँ लगा कि एक-से-एक विद्वान अपनी शैक्षणिक योग्यता को बढ़ाने की दौड़ में लगे हुये थे,जहाँ मुझे भी मजा आ रहा था। सबसे बड़ी बात है कि जब आप दुनियां को देखेंगे तो लगेगा कि दुनियां कितनी तेजी से आगे निकल रही है और हम कहाँ है।

ऐसा माना जाता है कि"जिसने शिक्षा प्राप्त की है,वही शिक्षा के महत्व को समझ पायेगा,बिना शिक्षा के पूरी दुनियां अधूरी है"। इसलिए मेरे दोस्तों,पढ़कर तो देखिये क्या मजा आता है।जब आप अच्छी शिक्षा प्राप्त करेंगे तो समाज में आपको एक अच्छी ख्याति मिलेगी,जीवन जीने का मजा आयेगा,ठीक वैसा ही जैसे, "जीना तो है उसी का जिसने यह राज जाना"यानि शिक्षा है तो जीवन है,शिक्षा नहीं तो दुनियां में कुछ भी नहीं है।

शिक्षा एक अनमोल रत्न है,जिसे प्राप्त करने में समस्यायें तो आती है,लेकिन दुनियां में प्रत्येक समस्या अपने में एक समाधान है।इसलिये जीवन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की कोशिश कीजिये तब लगेगा कि जिन्दगी जीने में कितना मजा आ रहा है।

 अंत में,हम कह सकते हैं कि जीवन में अधिक-से-अधिक शिक्षा प्राप्त कीजिये,पढ़िये,जीवन में उच्च शिक्षा प्राप्त कीजिये तभी आपके जीवन की तरक्की होगी, आप अपने आप से संतुष्ट होंगे, मुस्कुरायेंगे,क्योंकि पढ़ने,सीखने की कोई उम्र नहीं होती है।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार

"विनोद"प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,(बाँका)

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