आतंकवाद विश्व की समस्या- श्री विमल कुमार "विनोद" - Teachers of Bihar

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Sunday 29 January 2023

आतंकवाद विश्व की समस्या- श्री विमल कुमार "विनोद"

 आतंकवाद विश्व की समस्या, निदान असंभव,लेकिन नामुमकिन नहीं।

एक राजनीतिक चिंतक की लेखनी से

      आतंक का अर्थ है भय और वाद का अर्थ है सिद्धांत।यानि एक ऐसा भय का सिद्धांत जो कि विनाश का ज्वलंत रूप हो जिसमें सिर्फ तबाही ही तबाही हो,जो कि विश्व में मानवता के लिये कैंसर से भी घातक रूप धारण करता जा रहा है। यह विश्व की जनता के लिये तबाही का भूचाल है।इसका कोई भी जाति,धर्म  मजहब नहीं होता है क्योंकि जब इसको अपने स्वार्थ की पूर्ति नहीं होगी तब वह उसके लिये विनाश कारी रूप धारण कर लेगा। इसी संदर्भ मैंने एक राजनीति शास्त्र के विचारक होने के नाते कुछ विचार प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।

    एक राजनीतिक चिंतक होने के नाते आतंकवाद के आगमन के संदर्भ मैं लगा कि सबसे पहले इसको जन्म देने का मूल कारण विश्व के शक्तिशाली देश जो कि विश्व की राजनीति में अपना दबदबा बनाये रखने के लिए तथा अप्रत्यक्ष रूप से अपना हथियार बेचकर तबाही फैलाने की कोशिश करते हैं, जिसका खामियाजा विश्व के अन्य देशों को भी भुगतना पड़ता है।

   दूसरी बात यह है कि आज विश्व में बेरोजगारी ,महंगाई,गरीबी अपने चरम शिखर पर है,जिससे लोगों का ध्यान हटाने के लिये सीमा विवाद,आतंकवाद,युद्ध जैसी बातों में लोगों का ध्यान उलझा कर सरकार राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास करती है।जिसका फायदा वैसे लोग जो समाज तथा देश की जनता को अस्त व्यस्त कर देना चाहते हैं , जिसका अपना कोई सिद्धांत नहीं होता है,सिर्फ़ तबाही फैलाना ही इसका मकसद रह गया है।

    इसके अलावे विश्व के कुछ ऐसे देश जो कि पूर्व में एक ही देश थे, की जनता आपस में लड़ना नहीं चाहती है,बल्कि ऐसे देशों की  सरकार भूखमरी,गरीबी, बेरोजगारी जैसी मुख्य समस्याओं से देश की जनता का ध्यान हटाने के लिये सीमा विवाद,आतंकवाद जैसे मामलों को बार-बार विश्व के मानचित्र पर उछालने का प्रयास करती है ताकि जनता के ध्यान को उस ओर आकर्षित कर पुनः चुनाव जीतने का नाटक कर सके ।इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय संबंध के प्रसिद्ध विद्वान डाक्टर पी.आर.भाटिया ने अपनी अन्तर्राष्ट्रीय संबंध नामक पुस्तक में भारत-पाक संबंध में लिखा है कि भारत तथा पाकिस्तान की  जनता नहीं चाहती कि दोनों देशों के बीच युद्ध हो बल्कि दोनों देशों की सरकार यहाँ की जनता का ध्यान देश की वास्तविक समस्या से  हटाने के लिए सीमा विवाद तथा आतंकवाद जैसे मामलों में उलझा कर रखना चाहती है।

         इसके अलावे कुछ धार्मिक कट्टरतावादी संगठन गंदी नीति को अपना कर कम उम्र के यानि किशोरावस्था के बच्चों को धार्मिक जेहाद का नारा देकर देश की मुख्यधारा से विचलित करने का प्रयास करती है।

     ऐसा माना जाता है कि युद्ध  कभी भी शांति को जन्म नहीं दे सकती है बल्कि विनाश ही शांति को जन्म दे सकती है। मेरे विचार से लगता है कि आज के समय में विश्व के देशों को एकजुट होकर आतंकवाद जैसी समस्याओं का समाधान निकालने के लिये मिल बैठकर समाधान ढूँढने के लिये इसकी मूल बातों का अध्ययन करके समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिये।साथ ही विश्व में आतंकवाद फैलाने वाले संगठनों पर एक मत से प्रतिबंध लगा देना चाहिए एवं युद्ध के दरम्यान अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिये।

    इस संबंध में विश्व स्तर पर काम कर रही संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्था को आगे आकर विश्व हित में काम करना चाहिए ।लेकिन ऐसा देखा गया है कि जब संयुक्त राष्ट्र संघ में शक्तिशाली देशों के मामले आते हैं तो संयुक्त राष्ट्र संघ असफल नजर आती है।

साथ ही जब कमजोर देशों की बात आती है तो संयुक्त राष्ट्र संघ सफल नजर आती है। आतंकवाद जैसे मामलों में भी जब विश्व स्तर पर कारवाई की बात आने पर भी संयुक्त राष्ट्र संघ कोई भी सख्त कदम उठा पाने में असफल दिखाई देती है।

     चूँकि विश्व  स्तर पर मानवता की रक्षा करना जरूरी है,और जब विश्व में लगातार बम बारूद ,रासायनिक विस्फोटक का प्रयोग होगा तो प्रदूषण में भी वृद्धि होगी और जब प्रदूषण में वृद्धि होगी तो फिर पूरे जनमानस का विनाश होगा।

    चूँकि विश्व में आतंकवाद का जहर कैंसर की तरह फैलता जा रहा है।ऐसी परिस्थिति में कोई भी किसी की बात को मानना नहीं चाहता है जो कि मानव के विनाश का मुख्य कारण है,जिसको रोक पाना वर्तमान समय में संभव नहीं दिखाई पड़ती है क्योंकि लोगों की मानसिकता ही बदलती हुई दिखाई देती है।लेकिन अगर यह प्रयास लगातार होता रहा तो  आतंकवाद का खात्मा एक दिन होकर रहेगा।आने वाले दिनों में  विश्व से आतंकवाद की समाप्ति हो इसकी ईश्वर से प्रार्थना है तथा विश्व में सुख समृद्धि का साम्राज्य हो ,इसकी ढेरसारी शुभकामनायें।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"शिक्षाविद,भलसुंधिया गोड्डा 

(झारखंड

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