दीपावली: अंधकार पर प्रकाश की जीत - भोला प्रसाद शर्मा - Teachers of Bihar

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Thursday, 31 October 2024

दीपावली: अंधकार पर प्रकाश की जीत - भोला प्रसाद शर्मा


दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहार है, जो पूरे देश में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और इसे 'प्रकाश पर्व' भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोग अपने घरों, कार्यालयों और आस-पास के स्थानों को दीपों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाते हैं। दीपावली अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानी जाती है। यह एक ऐसा पर्व है जो न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों बल्कि सभी धर्मों के लोगों के बीच आपसी भाईचारे, समर्पण और आनंद का संदेश फैलाता है।


दीपावली का पौराणिक महत्व-


दीपावली के पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कहानियाँ हैं, जो इसकी गहराई और महत्व को बढ़ाती हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से सजाया और इस प्रकार यह परंपरा दीपावली के रूप में विकसित हुई। यह प्रकाश की शक्ति और विजय का प्रतीक मानी जाती है, जिसमें सत्य और धर्म का महत्त्व है।


     एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और 16,000 कन्याओं को उसके बंदीगृह से मुक्त कराया था। इसी कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में भी मनाया जाता है और इसे बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।


       महाभारत के संदर्भ में भी दीपावली का जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि पांडव जब वनवास समाप्त कर हस्तिनापुर लौटे, तो वहाँ के लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। इसी तरह जैन धर्म में भी यह माना जाता है कि दीपावली के दिन ही भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था। सिख धर्म में भी यह दिन महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन छठवें गुरु हरगोविंद जी को मुक्त किया गया था।


दीपावली का सांस्कृतिक महत्व-


दीपावली का सांस्कृतिक महत्त्व भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह पर्व न केवल धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा है बल्कि इसके साथ भारतीय समाज में स्वच्छता, सद्भाव, एकता और खुशी का संदेश भी निहित है। यह त्योहार धन, समृद्धि और परिवार में सुख-शांति की कामना के साथ मनाया जाता है।


दीपावली पर घरों की सफाई और सजावट का विशेष महत्त्व होता है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं, स्वच्छ और सुंदर घरों में प्रवेश करती हैं और वहां सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसी कारण लोग इस दिन अपने घरों की सफाई करते हैं, घरों को रंगोली से सजाते हैं और नए वस्त्र पहनते हैं। दीपावली पर लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, मिठाइयाँ और उपहार बाँटते हैं, जो आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है।


दीपावली के पाँच दिन-


दीपावली केवल एक दिन का त्योहार नहीं है, बल्कि यह पाँच दिनों का उत्सव है। ये पाँच दिन हैं: धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज।


1. धनतेरस: दीपावली के पहले दिन धनतेरस मनाया जाता है, जिसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं। इस दिन लोग अपने घरों के लिए नए बर्तन, गहने और अन्य सामग्रियाँ खरीदते हैं। इसे शुभ माना जाता है और मान्यता है कि इस दिन खरीदारी करने से घर में धन-धान्य का आगमन होता है।


2. नरक चतुर्दशी: धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे 'छोटी दिवाली' भी कहा जाता है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध कर उसकी कैद से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन लोग घर की सफाई करते हैं और रात्रि में दीप जलाते हैं।


3. लक्ष्मी पूजन: दीपावली का मुख्य दिन लक्ष्मी पूजन का होता है। इस दिन लोग माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। घरों में दीप जलाए जाते हैं और इसे सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए लोग अपने घरों को दीपों और रंगोली से सजाते हैं।


4. गोवर्धन पूजा: दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा इंद्रदेव के प्रकोप से गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन लोग गोवर्धन की पूजा करते हैं और घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं।


5. भाई दूज: दीपावली के पाँचवे दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक होता है। बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई उनकी सुरक्षा और देखभाल का वचन देते हैं।


दीपावली का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव-


     दीपावली का त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर समाज में आपसी प्रेम और भाईचारे का वातावरण बनता है। लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते हैं, उन्हें उपहार और मिठाइयाँ देते हैं, जिससे संबंधों में मधुरता बढ़ती है। यह त्योहार समाज में एकता और समर्पण का संदेश भी देता है।


इसके साथ ही, दीपावली का आर्थिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण होता है। यह त्योहार व्यापारियों और दुकानदारों के लिए सबसे अधिक लाभदायक समय होता है। लोग इस दिन खूब खरीदारी करते हैं, जिससे बाजार में आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, घरों की सजावट, आतिशबाजी, और मिठाइयों की खरीद से भी व्यापार में उछाल आता है।


दीपावली और पर्यावरण-


दीपावली का उत्सव जितना आनंदमय है, उतना ही पर्यावरण पर इसका प्रभाव भी है। इस अवसर पर आतिशबाजी की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए, आधुनिक समय में लोग इस पर्व को एक पर्यावरण के प्रति जागरूक दृष्टिकोण के साथ मनाने का प्रयास कर रहे हैं। आजकल दीयों का प्रयोग बढ़ रहा है और लोग कम आतिशबाजी करने का संकल्प ले रहे हैं ताकि इस पर्व का आनंद पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना लिया जा सके।


निष्कर्ष


दीपावली का पर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन के अंधकार को मिटाकर उसमें रोशनी भरने का प्रतीक है। यह अच्छाई की बुराई पर विजय का संदेश देता है और समाज में प्रेम, समर्पण और भाईचारे का वातावरण बनाता है। दीपावली हमें सिखाती है कि जीवन में हर कठिनाई के बाद आशा का एक नया दीप जलाया जा सकता है। इस पर्व पर हर एक व्यक्ति को केवल अपने घर को नहीं, बल्कि अपने हृदय को भी प्रेम और सद्भावना से भरना चाहिए।



    भोला प्रसाद शर्मा 

डगरूआ, पूर्णिया (बिहार)

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