पण्डित नरेन्द्र शर्मा-हर्ष नारायण दास - Teachers of Bihar

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Sunday 7 March 2021

पण्डित नरेन्द्र शर्मा-हर्ष नारायण दास

पण्डित नरेन्द्र शर्मा

          पण्डित नरेन्द्र शर्मा का जन्म उत्तरप्रदेश के खुर्जा जिले के जहाँगीरपुर नामक गाँव में 28 फरवरी 1913 को हुआ था। उनके पिता का नाम पूरन लाल शर्मा तथा माता का नाम गंगा देवी था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा शास्त्र और अँग्रेजी में एम० ए० किया। नरेन्द्र शर्मा जी का विवाह बम्बई के सम्भ्रांत गुजराती परिवार के मुखिया गुलाबदास गोदीवाला की पाँचवी सन्तान कुमारी सुशीला गोदीवाला से 12 मई 1947 को हुआ था। नरेंद्र शर्मा जी के आर्यसमाज के सुधारवादी आन्दोलन और राष्ट्रीय जागरण का व्यापक प्रभाव उनके हृदय पर पड़ा। 21 वर्ष की आयु में पण्डित मदन मोहन मालवीय द्वारा प्रयाग में स्थापित साप्ताहिक "अभ्युदय'' से अपनी सम्पादकीय यात्रा आरम्भ की। 1940 में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रशासन विरोधी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार कर लिये गए। 1943 में मुक्त होने तक वाराणसी, आगरा, देवली में विभिन्न कारागारों में शचीन्द्र नाथ सान्याल, सोहन सिंह जोश, जय प्रकाश नारायण और संपूर्णानंद जैसे  ख्याति नामों के  साथ नजरबन्द रहे और 19 दिन तक अनशन भी किया। जेल से छूटने के बाद उन्होंने अनेक फिल्मों में गीत लिखे।
          1931 ईस्वी में इनकी पहली कविता "चाँद'' में छपी।शीघ्र ही जागरूक, अध्ययनशील और भावुक कवि नरेन्द्र ने उदीयमान नये कवियों में अपना प्रमुख स्थान बना लिया।लोकप्रियता में इनका मुकाबला हरिवंशराय बच्चन से ही हो सकता था। 1933 में इनकी पहली कहानी प्रयाग के दैनिक भारत में प्रकाशित हुई। 1934 में इन्होंने मैथिलीशरण गुप्त की काव्यकृति "यशोधरा'' की समीक्षा भी लिखी। भारतीय संस्कृति के प्रमुख ग्रंथ "रामायण" और "महाभारत" इनके प्रिय ग्रंथ थे। महाभारत में रुचि होने के कारण ये "महाभारत" धारावाहिक के निर्माता बी०आर०चोपड़ा के अन्तरंग बन गए। इसलिए जब उन्होंने "महाभारत'' धारावाहिक का निर्माण प्रारम्भ किया तो नरेंद्र जी उनके परामर्शदाता बने।  3 अक्टूबर 1957 भारतीय रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में एक सुरीला अध्याय जुड़ा- "विविध भारती'' नाम से-----। विविध भारती का प्रस्ताव पण्डित नरेंद्र शर्मा ने दिया था। विविध भारती के साथ-साथ उनके अन्य कार्यक्रम जैसे हवामहल, मधुमालती, जयमाला, बेला के फूल, चौबारा, पत्रावली, वंदनवार, मंजूषा, स्वर-संगम, रत्नाकर, छायागीत, चित्रशाला, अपना घर आदि का नामकरण भी नरेंद्रशर्मा ने ही किया था। महाभारत का पटकथा लेखन और गीत रचना किये-
अथ श्री महाभारत कथा अथ श्री महाभारत कथा 
कथा है पुरुषार्थ की ये स्वार्थ की परमार्थ की 
सारथी जिसके बने श्रीकृष्ण भारत पार्थ की 
शब्द दिग्घोषित हुआ जब, सत्य सार्थक सर्वथा।।
          नरेंद्र शर्मा जी लता मंगेशकर को पुत्री समान मानते थे। फ़िल्म रत्नाघर के गीत "ऐसे हैं सुख सपन हमारे----गीत को लता मंगेशकर जी ने गाया। सत्यं शिवं सुन्दरम के अधिकतर गीत, प्रेम रोग फ़िल्म के गीत-भंवरे ने खिलाया फूल, फ़िल्म अफसर के गीत नैन दीवाने इक नहीं माने---सचिनदेव वर्मन के संगीत निर्देशन में सुरैया ने गाया था। भाभी की  चूड़ियाँ फ़िल्म का मशहूर गीत "ज्योति कलश छलके'' लता मंगेशकर जी ने गाया था। लगभग 55 फिल्मों में 650 गीत की रचना इन्होंने किया। बॉम्बे टॉकीज फ़िल्म निर्माण संस्था निर्माता हिमांशु राय और देवीकारानी मिलकर 1934 में बॉम्बे टाकीज बैनर की स्थापना की। संगीतकार अनिल विश्वास की  बहन पारुल घोष, मीना कपूर ने सुगम संगीत कार्यक्रम के लिए उनके गीत गाये। 1951 में बनी "मालती माधव'' चित्रपट की पटकथा नरेंद्र शर्मा ने लिखी। उसी फ़िल्म का कर्णप्रिय गीत "बाँध प्रीति फूल डोर, मन लेके चितचोर, दूर जाना ना, नरेंद्रशर्मा ने ही लिखा।
          साहित्य के साथ साथ ज्योतिष विज्ञान और आयुर्वेद का अच्छा ज्ञान था। 5 वर्ष तक पंडित नेहरू के निजी सचिव भी रहे। 1982 के एशियन गेम का थीम सॉन्ग पण्डित जी ने ही लिखा। अथ स्वगतम, शुभस्वागतम। आनंद मंगल मंगलम।नित प्रिय भारत भारतम। इनके द्वारा लिखे गीत-नाच रे मयूरा।खोलकर सहस्त्र नयन, देख सघन, गगन गगन-----जिसे मन्ना डे ने गाया था जो बड़ा ही प्रसिद्ध हुआ था। 1953 से 1971 तक नरेंद्र शर्मा जी आकाशवाणी के मुख्य प्रबन्धक के पद पर कार्य करते रहे। नरेंद्रशर्मा ने हिन्दी साहित्य की 23 पुस्तकें लिखकर श्रीवृद्धि की है जिनमें प्रमुख हैं-प्रवासी के गीत, मिट्टी और फूल, अगनिशस्य, प्यासा निर्झर, मुट्ठिबन्द रहस्य(कविता संग्रह) मनोकामिनी, द्रौपदी, उत्तरजय, सुवर्णा (प्रबंधकाव्य) आधुनिक कवि, लाल निशान, ज्वाला परचूनी इत्यादि। 11 फरवरी 1989 को हृदय गति रुक जाने के कारण उन्होंने अपनी नश्वर देह त्याग दी। ऐसे महान गीतकार, कवि, लेखक को कोटिशः नमन।

हर्ष नारायण दास
म०विद्यालय घीवहा
फारबिसगंज(अररिया)

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