Saturday, 8 January 2022
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गणित की गतिविधियां-मो.जाहिद हुसैन
गणित की गतिविधियां
गणित के अध्ययन से मानसिक विकास तो होता ही है, साथ-साथ चिंतन करने, तर्क करने, अनुमान लगाने, प्रयोग करने और प्रश्न करने की क्षमता में भी विकास होता है क्योंकि गणित के प्रश्नों को हल करने में इन सभी कौशलों की आवश्यकता होती है। गणितीय अभ्यास से जीवन शैली में भी विकास होता है। इतना ही नहीं, गणित की समस्याओं को हल करने में उपयुक्त विधियों को खोजने की प्रवृत्ति का विकास होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा होता है। समस्याओं से उचित प्रकार से एवं शुद्धता के साथ जूझने की प्रवृत्ति का विकास होता है। योजनाबद्ध ढंग से एवं एकाग्रचित्तता तथा आत्मविश्वास पैदा होता है।
एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि बच्चों में गणित के प्रति रुचि कैसे जगाया जाए? बच्चों में रुचि पैदा करने के लिए हमें किसी तथ्य या अवधारणा के संबंध से पूर्व उसकी जानकारी का पता लगाना होगा और फिर उससे जोड़ते हुए नई जानकारी प्राप्त करनी होगी जिससे बच्चे स्वाभाविक रूप से बातों को ग्रहण कर सकें। जैसे- गुणा सिखाने के पूर्व यह देख लेना आवश्यक होगा कि क्या बच्चे जोड़ की अवधारणा को समझ चुके हैं। यदि हां तो जोड़ के माध्यम से गुणा की अवधारणा सिखाना अधिक आसान होगा क्योंकि बच्चों को तब महसूस होगा कि जोड़ ही तो हो रहा है। परिणाम गुणा के रूप में भी प्राप्त होने पर ज्ञात से अज्ञात का ज्ञान प्राप्त होता है जिससे बच्चों में रुचि बढ़ेगी।
चुॅंकि गणित अमूर्त है, अतः इसे मूर्त रूप देकर बच्चों के समक्ष लाया जाए तो बच्चों को उनके प्रतिबिंब का एहसास होता है और उस प्रतिबिंब के सहारे आगे बढ़ने में सहूलियत होती है। जैसे 4 आम + 3 आम = 7 आम, बच्चों के लिए आसान होता है, बजाय इसके कि 4 + 3 = 7। हालांकि अंततः यहां तक पहुंचना लक्ष जरूर है। बच्चों में गणित की समझ पैदा करने के लिए यह आवश्यक होगा कि शिक्षक स्वयं किसी समस्या या अवधारणा को खुद हल न करें। शिक्षक कक्षा में एक मूर्त उदाहरण रचें जिससे सभी बच्चे उसे हल करने के लिए लालायित हो जाए। ऐसा करने से हम एक सरल रूप में कार्य करेंगे लेकिन यह ध्यान में रखें कि सभी बच्चों की भागीदारी हो। बच्चे अपने अनुभवों को रचने में गतिविधि, शैक्षणिक सामग्री का प्रयोग करें। बीच-बीच में खेल, गणित, पहेली, गणितीय वाद-विवाद, जैसे मनोरंजक उपकरणों के प्रयोग से बच्चों का मन गणित सीखने में बनाए रखा जा सकता है।
बच्चों में जब एक अवधारणा या पाठ की समझ बन जाए तभी दूसरी अवधारणा को प्रतिस्थापित करने पर बल देने से गणित के प्रति रुचि आती है। किसी अवधारणा को क्रम से सीखने-सिखाने के साथ हमें सर्पिल गति से आगे बढ़ना होगा। सर्पिल गति में पूर्व से तय किए गए मार्ग की पुनरावृति करते हुए आगे बढ़ने का कार्य होता है।
एक सवाल है कि महत्वपूर्ण कौन है- प्रक्रिया या परिणाम? गणित में प्रक्रिया ही सवालों को हल करने में उत्तरोत्तर मदद करती है और अंत में लक्ष्य या उत्तर की प्राप्ति होती है। सही प्रक्रिया अपनाने से सही उत्तर सुनिश्चित है। जिस प्रकार पटना से कोलकाता की ओर जाने वाली गाड़ी से बनारस नहीं पहुंचा जा सकता उसी प्रकार गलत प्रक्रिया को अपनाकर सही परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते। इसलिए गणित में प्रक्रिया की समझ महत्वपूर्ण है। गणित में एक प्रक्रिया या संक्रिया की समझ दूसरी प्रक्रिया को समझने में मदद पहुंचाती है। प्रक्रिया गणित की अनेक समस्याओं को प्रभावित करती है। अतः प्रक्रिया की महत्ता बढ़ जाती है। यदि बच्चा दैनिक जीवन में गणित का अनुप्रयोग सही करता है तो यह समझा जाना चाहिए कि गणित की अवधारणा उनमें पक्की है और अधिगम प्रतिफल भी अपेक्षित है। कुछ रोचक गतिविधियां निम्नलिखित हैं-
1. जोड़ और घटाव
कक्षा में बच्चों को दो समूहों में विभाजित किया जाना चाहिए। समूहों को गंगा और यमुना या जो भी नाम दिया जा सकता है।शिक्षक बोर्ड के पास खड़ा रहें। वे स्पष्ट निर्देश देगें। मान लीजिए संख्या 10 है तो एक समूह का कोई भी प्रतिभागी उंगलियों से प्लस बनाकर 21 कहेगा तो दूसरे समूह का कोई प्रतिभागी 31 बताता है, तो उस समूह को निर्धारित अंक 1 दिया जाएगा। यदि वे गलत उत्तर देते हैं तो उन्हें शून्य अंक मिलेंगे। फिर अगर दूसरा समूह उंगली से माइनस का आकार बनाते हुए 13 कहता है तो जल्द ही विपक्ष में एक प्रतिभागी 18 कहता है तो वह समूह भी 1 अंक का हकदार होता है अन्यथा उसे शून्य दिया जाएगा। स्कोर लिखने का कार्य शिक्षक करेगें। यह एक दिलचस्प प्रतियोगिता है। फिर बच्चे स्वयं इस गतिविधि को करेंगे और आनंद लेंगे। यह एक छोटे बच्चे के लिए जोड़ और घटाव की अवधारणा को मजबूत करने के लिए एक अच्छी गतिविधि है।
2. गिनती से गुणा करना
यदि हम 4 को 5 से गुणा करना चाहते हैं तो कॉपी या ब्लैक बोर्ड पर 4 लंबवत रेखाएँ खींचें। उस पर 5 क्षैतिज रेखाएँ खींचिए। अब कट प्वाइंट को गिन लें। यह 20 है जो 4और 5 का गुणन है। जमीन पर रेखाएँ खींचकर छोटे बच्चों को यह सिखाया जा सकता है। जो कोई भी केवल गिनती जानता है, वह सीधा गुणा कर सकता है। इसे लकड़ी या स्ट्रा से भी किया जा सकता है। मान लीजिए 4 को 6 से गुणा करना है तो 4 स्ट्रॉ को लंबवत रखें और फिर उस पर 6 स्ट्रॉ क्षैतिज रखें। फिर कटान बिंदु की गणना करें। गुणन 24 है।
3.लघुत्तम समापवर्तक (LCM)
मान लीजिए कि 4, 6 और 9 का एलसीएम ज्ञात करना है तो कॉपी या ब्लैक बोर्ड पर गिनती लिखें 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9,10.......। फिर सबसे पहले हम 4 के गुणजों को घेरेंगे जैसे- 4, 8,12,16, 20, 24, 28, 32, 36, 40.....अनंत। फिर इसी तरह हम 6 के गुणजों को घेरेंगे जैसे- 6, 12, 18, 24, 30, 36, 42.... अनंत। इसी तरह 9 के गुणज 9, 18, 27, 36, 45, 54, 63.....अनंत। हालांकि आवश्यकतानुसार काम चलने भर संख्याओं को घेरें। सारे घेरे गए संख्याओं में काॅमन संख्याओं को घेर दें। हम पाएंगे कि 36, 72, 108, 144, 180, 216 ...अनंत। इसका पैटर्न 36×1, 36×2, 36×3, 36×4, 36×5, 36×6… है। अब हमें यह ज्ञात करना है कि इन घिरी हुई काॅमन संख्याओं में कौन-सी संख्या सबसे छोटी है। यहाँ 36, 72, 108, 144, 180, 216.... इत्यादि में से सबसे छोटा गुणक या समापवर्तक 36 है। इसलिए एलसीएम 36 है क्योंकि एलसीएम वह काॅमन गुणज या समापवर्तक है, जो सबसे कम है।
4. महत्तम समापवर्त्य
सबसे पहले हम गिनती लिखते हैं.....1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 8, 10 , 11, 12....आदि। आइए 4, 6 और 12 का HCF ज्ञात करें। फिर हम निम्नलिखित गणनाओं में पहले 4 के गुणनखंडों को घेरेंगे, फिर 6 के गुणनखंडों को और फिर 9 के गुणनखंडों को इसी प्रकार घेरेंगे। 4 के गुणनखंड 1, 2, 4 हैं और 6 के गुणनखंड 1, 2, 3, 6 और 12 गुणनखण्ड 1, 2, 3, 4, 6, 12 हैं। इन में काॅमन गुणनखंड 1 और 2 हैं। अब हमें इन तीनों में से सबसे बड़ा उभयनिष्ठ गुणनखंड ज्ञात करना होगा। इसमें से सबसे अधिक उभयनिष्ठ गुणनखंड चुनें जो कि HCF है। एचसीएफ = 2, क्योंकि एचसीएफ वह काॅमन फैक्टर है जो उच्चतम है।
5. गणित चुटकुला
ट्रेन में तीन छात्र सवार थे। एक छात्र ऊपर वाले बर्थ पर और दो छात्र निचले बर्थ पर बैठे थे। जब टीसी ने वहां आकर टिकट की मांग की तो एक छात्र ने उन्हें हाफ टिकट दिया। टीसी ने कहा, "आपको मुझे तीन टिकट देने होंगे।" तभी एक छात्र ने विडम्बनापूर्ण उत्तर दिया, " 1 ऊपर और 2 निचे (एक बटा दो)। सर, गणित के अनुसार 'एक बटा दो' का मतलब आधा होता है। इसलिए मैं आपको आधा टिकट दे रहा हूं। सभी यात्री सुनकर हंसते लगे। तब छात्रों में से एक ने उसे तीन टिकट दिए और उससे कहा, "क्षमा करें सर, मजाक कर रहा था। ठीक है, ठीक है। कोई बात नहीं।
6. मापन गतिविधि
मापने और तौलने की प्रक्रिया सिखाने के लिए मिट्टी के प्याले से तराजू बनाए जा सकते हैं। वजन के लिए गीली मिट्टी से 25 ग्राम, 50 ग्राम, 100 ग्राम, 500 ग्राम और 1000 ग्राम या 1 किग्रा और 2 किग्रा बनाया जा सकता है। नकली नोटों के साथ विनिमय करना सिखाया जा सकता है। हमें किसी द्रव की धारिता मापने की अवधारणा भी देनी चाहिए। इस अवधारणा के माध्यम से शिक्षक लाभ और हानि की गणना आसानी से सिखा सकते हैं। इससे सभी गणितीय संक्रियाओं की समझ विकसित होती है। फिर कक्षा में इसे व्यवसाय-व्यवसाय के रूप में रोचक खेल खेला जा सकता है। बच्चे इसे बाजार में सही-सही अनुप्रयोग कर सकेंगे।
गीली मिट्टी से हम वस्तुओं को मनचाहा आकार दे सकते हैं। फिर इसे सुखाकर एवं तापकर टेराकोटा बनाया जा सकता है और उन वस्तुओं को रंगा जा सकता है। इस प्रकार सुंदर और प्रभावी टीएलएम का उपयोग किया जा सकता है। इसे कक्षा-कक्ष में प्रदर्शित किया जाए और उनके मूल्य निर्धारित कर उन्हें टैग किया जाए। किसी भी लाभ के साथ बेचें। ₹20 की एक वस्तु ₹25 में तथा ₹50 की वस्तु ₹55 में बेची जा सकती है। यदि वस्तु क्षतिग्रस्त हो जाती है तो उसे हानि पर भी बेची जा सकती है। उदाहरण के लिए- मान लीजिए कि आम ₹20 किलो है जो ₹5 के लाभ पर बेचा गया, फिर इसे बोर्ड पर लिख लें। लाभ = ₹25 - ₹20= ₹5
यदि इसे लाभ प्रतिशत की अवधारणा के रूप में समझाया जाना है तो हमें यह बताना होगा कि यदि आप एक वस्तु को ₹100 में बेचते हैं तो कितना लाभ होता है तो एक छोटा बच्चा आसानी से इसे जोड़ सकता है और बता सकता है-
₹20 में ₹5 का मुनाफा
₹20 में ₹5 का मुनाफा
₹20 में ₹5 का मुनाफा
₹20 में ₹5 का मुनाफा
₹20 में ₹5 का मुनाफा
या
CP SP (किलो) लाभ
20 25 5
20 25 5
20 25 5
20 25 5
20 25 5
------------------------------------‐-----
100 125 25
इस प्रकार 5 किलो आम ₹100 में बिकता है। अर्थात ₹ 100 के आम बेचने पर ₹ 25 का लाभ होता है। यह लाभ प्रतिशत है क्योंकि जो ₹ 100 में बेचा जाता है वह लाभ प्रतिशत होता है। इसे गणितीय भाषा में लाभ = 25% के रूप में लिखा जाता है। एक हाथी का खिलौना है जिसकी कीमत ₹25 है लेकिन यह अपना रंग खो चुका है। कोई इसे ₹20 में खरीदना चाहता है ताकि वे उसे रंगकर आकर्षक बना सके। विक्रेता बेचने को मजबूर है क्योंकि इसकी रंगाई में अधिक पैसा खर्च हो सकता है। अतः वह इसे ₹20 में बेच देता है, तो उसे ₹5 कम मिलते हैं। यदि हानि प्रतिशत बच्चों को समझाना है तो यदि ₹ 25 का एक हाथी ₹ 5 कम में बेचा जाता है, तो ₹100 के हाथियों में कितनी हानि होगी?
छोटे बच्चों के लिए जोड़कर बताना आसान होता है।
₹25 में ₹5 का नुकसान
₹25 में ₹5 का नुकसान
₹25 में ₹5 का नुकसान
₹25 में ₹5 का नुकसान
या
CP SP(प्रति) हानि
₹25 ₹20 5
₹25 ₹20 5
₹25 ₹20 5
₹25 ₹20 5
………………………………………………
₹100 ₹80 20
इस तरह 4 हाथियों को बेचने पर ₹20 का नुकसान होगा यानी हाथियों को ₹100 में बेचने पर ₹20 हानि हो जाता है। यह हानि प्रतिशत है। इसे गणितीय भाषा में हानि=20% लिखा जाता है।
7. ज्योमैट्रिकल टी एल एम
घनाभ :- माचिस के डिब्बे के उपयोग से आसानी से घनाभकार बनाए जा सकते हैं। गीली मिट्टी को हल्के बालू में लगाकर माचिस की डिब्बियों में डाल दें। उसे थोड़ा देर उसी में रहने दें। फिर निकाल लें। इसको धूप में सुखा लें, फिर आग में पका लें। यह टेरेकोटा बिल्कुल ईंट के समान हो गया जिससे छोटे बच्चे घर, पुल और खंभे जैसी आकृतियां बना सकते हैं। सीमेंट और बालू की जगह पर गारा का उपयोग किया जा सकता है। इस तरह का निर्माण बच्चों के लिए एक मनोरंजक खेल होगा।
घन :- गत्ते का इस्तेमाल कर घनाकार बनाना आसान है।आकृति बनाने के लिए 18-18 इंच की 2 गत्ते काट लें और उसमें 6-6 इंच पर 2-2 निशान लगाएं, फिर उसे 3 बराबर हिस्से यानि 6-6 इंच पर फोल्ड कर दें। 18-18 इंच के दोनों गत्ते जो 3-3 हिस्से में फोल्ड किए गए हैं, उसे इस प्रकार रखे कि घन दिखे। एक गत्ता नीचे तथा दूसरा गत्ता को ऊपर रखकर इसे मिलाया जा सकता है। अब घनाकार को सिलो टेप से साट दिया जाए। अब आपके सामने 6"×6"×6" का घन बनकर तैयार है।
बेलन:- बेलन बनाने के लिए गत्ते को आयताकार काट लें। चौड़ाई वाले भुजाओं को मिलाने से बेलनाकार आकृति बन जाएगी। अब सिलो टेप से इसे साट लें फिर ऊपर और नीचे की चकती को बनाने के लिए बनाए गए आकृति के किसी एक सिरे को गत्ते पर रखकर वृताकार काट लें। दोनों चकती को ऊपर और नीचे रखकर स्ले टेप से साट दें। अब बेलन तैयार हो गया।
शंकु :- कोन बनाने के लिए गत्ते को त्रिभुजाकार काटें। उसके एक शीर्ष को ऊपर रखकर निचले दोनों शीर्ष को इस प्रकार फोल्ड करें कि कोण बन जाए। शीरा फिर उसी गत्ते पर रखकर वृत्ताकार निशान लगाकर चकती काट लें। फिर उस चकती को नीचे साट दें।अब आपके पास शंकु बनकर तैयार है। ये सभी कंक्रीट कंटेक्स्ट हैं जिसका इस्तेमाल कर ज्योमेट्री के महत्वपूर्ण कांसेप्ट को दिया जा सकता है।
8. वृत्त नृत्य
स्कूल परिसर या मैदान में एक वृत्त (Circle) बनाया जाय। बच्चों को उस सर्कल पर बैठाना है, फिर शिक्षक को एक सर्कल की अवधारणा व्यास, त्रिज्या, केंद्र, परिधि और जीवा को समझाना है कि ये क्या हैं? इसे जमीन पर रेखा खींचकर आसानी से समझाया जा सकता है। फिर वृत्त नृत्य (Circle Dance) एक्टिविटी शुरू की जा सकती है। इसके लिए शिक्षक सभी को समझाएंगे कि यह कैसे करना है। उनमें से एक बच्चे को अभ्यास के लिए खड़ा करेगें और उन्हें स्पष्ट रूप से एक गोलाकार नृत्य करने का निर्देश देगें। वह बच्चा वृत्त के किनारे पर परिधि नृत्य करेगा, फिर वह बच्चा जहां रुकेगा उस बच्चे को केंद्र के माध्यम से एक व्यास बनाकर नृत्य करने का निर्देश दिया जाएगा। वह सामने वाले बच्चे के पास जाएगा। फिर शिक्षक सामने वाले बच्चे को त्रिज्या डांस करने का निर्देश देंगे। वह केंद्र तक नाचता चला जाएगा, फिर केंद्र से त्रिज्या नृत्य करते हुए दूसरी तरफ जाने के लिए कहा जा सकता है ताकि दूसरे बच्चे को नृत्य करने का मौका दिया जा सके। अन्य बच्चों को जीवा बनाते हुए नृत्य करने का निर्देश दिया जा सकता है। इस तरह सर्कल की सभी अवधारणाओं की पुष्टि हो जाएगी। यह एक अच्छी मूल्यांकन गतिविधि है। बच्चे इस गतिविधि का पूरा आनंद उठा सकते हैं और आसानी से सीख सकते हैं। नृत्य एक ही तरह का होगा तो गतिविधि सरल होगी और विभिन्न तरह के नृत्य करने पर कठिन होगी। यह गतिविधि में लचीलापन है।
मो. जाहिद हुसैन
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय मलह विगहा चंडी, नालंदा
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गुणज का अर्थ अपवर्त्य होता है न कि अपवर्तक
ReplyDeleteबेहतरीन प्रयास सर
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