गणतंत्र दिवस और भीमराव अंबेडकर- सुरेश कुमार गौरव - Teachers of Bihar

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Wednesday 25 January 2023

गणतंत्र दिवस और भीमराव अंबेडकर- सुरेश कुमार गौरव

 आप सभी को गणतंत्र दिवस की बधाईयाँ और प्रगतिमय शुभकामनाएँ। हमारा देश जब 15 अगस्त 1947 ईस्वी को आजाद हुआ तब देश को चलाने के लिए नियम कानून की आवश्यकता पड़ी। संविधान सभा का गठन किया गया। 2 बर्ष 11 महीने और 18 दिन संविधान बनने में लगे। संविधान सभा के अध्यक्ष देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद थे। अन्य विद्व जनों के प्रयास भी अत्यंत सराहनीय थे। लेकिन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। संविधान बनाने में उन्होंने कई देशों के संविधान को महीनों तक पढा और समझा। तब जाकर हमारे संविधान का प्रारूप तैयार हुआ।

भारतरत्न विश्वविभूति बाबा साहब को संविधान निर्माता कहा जाता है। इन्होंने संविधान की आत्मा "संविधान की प्रस्तावना" में निम्न बातें प्रस्तुत कीः "हम भारत के लोग ,भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व, सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक, न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुआ बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में एतत् द्वारा इस संविधान को 26 नबंवर 1949 ईस्वी को इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। "संविधान की प्रस्तावना को स्कूलों में चेतना सत्र के दौरान प्रतिदिन शपथ के तौर पर दुहराए जाते हैं।

हालांकि आजादी के प्रथम कानून मंत्री बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को बनाया ही इसलिए गया था की भारत का अपना लिखित संविधान हो। बाबा साहब के द्वारा उनके इस कृत्य को भारत उनका सदैव ऋणी रहेगा। लेकिन कसक इस बात का है की संविधान के मूल अधिकारों की रक्षा नहीं की जा रही।

समता का अधिकार सफलीभूत नहीं हो पा रहा। स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार,धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा और संस्कृति का अधिकार एवं संवैधानिक उपचारों का अधिकार संविधान ने दे तो दिया। लेकिन शोषित दबे कुचले लोगों को अधिकारों के लिए आज भी संघर्ष करने पड़ते हैं।

गणतंत्र और बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की महत्ता कल भी थी और आज भी है और आने वाले भविष्य में भी रहेगी। हम अपने नए भारत के वर्तमान और भविष्य के लिए आशान्वित हैं और विश्व की नजरें हमारी ओर टकटकी लगाए हैं और विश्व के शक्तिशाली देशों ने भी भारत के प्रति गंभीरता और अपनी संवेदनशीलता दिखलाई है। हमारा देश सदैव फले और फूले यही कामनाएं हैं। अमर रहे गणतंत्र हमारा।



आलेखकर्ता:

_सुरेश कुमार गौरव,स्नातक कला शिक्षक,उमवि रसलपुर,पटना (बिहार)

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