संविधान की गरिमा हमारी नैतिक जिम्मेदारी- रूचिका - Teachers of Bihar

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Wednesday 25 January 2023

संविधान की गरिमा हमारी नैतिक जिम्मेदारी- रूचिका

संविधान एक मौलिक कानून है जो किसी देश का संचालन करने,सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा तथा कार्य निर्धारण करने और नागरिकों के हितों का संरक्षण करने के लिए नियम दर्शाता है।

भारत का संविधान संविधान सभा द्वारा 25 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।

भारतीय संविधान की आधारशिला सामाजिक ,आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय ,संप्रभुता,धर्मनिरपेक्षता , अखंडता,एकता जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है।इन मूल्यों की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का नैतिक कर्तव्य है।विश्व के सबसे बड़ा लोकतंत्र,भारतीय लोकतंत्र का आधार उसका संविधान है।

प्रत्येक नागरिक का नैतिक दायित्व है की किसी भी व्यक्ति से रंग,रूप, जाति,धर्म के आधार पर भेदभाव न करें और  ऐसा करने वाले को प्रश्रय भी न दें।

भारत में कई धर्म ,जाति ,भाषा के व्यक्ति निवास करते हैं।

भारत का संविधान विविधता में एकता का संदेश देता है।हम सभी मिल जुल कर रहे और देश के सर्वांगीण विकास में अपना योगदान दे, ये हम सबका नैतिक दायित्व है।

भारतीय संविधान सभी को अपने पसंद के धर्म को मानने का अधिकार देता है पर ये हमारा नैतिक कर्तव्य है की अपने धर्म  के पालन करने के तरीके से किसी और को समस्या न हो।

भारतीय संविधान लिंग के आधार पर भेदभाव का विरोध करते हुए सबको समान रूप से अवसर देने की बात करता है,और हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि इसका समर्थन करें और इसकी अवहेलना का पुरजोर विरोध करें।

भारतीय संविधान के अनुसार सबको शिक्षा के समान अवसर के साथ ही 14 वर्ष के आयु तक के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाय।और ऐसा करना इसका समर्थन करना और इसके लिए प्रयासरत होना हमारा नैतिक दायित्व है।

सिर्फ कानून पर पूर्णतया अवलम्बित न होकर आपसी सूझ बूझ के साथ हमारा नैतिक दायित्व है कि लिखित संविधान का स्वयंमेव पालन करें ,यह करने के लिए सिर्फ मन में नियमों की अवहेलना का डर न हो बल्कि नैतिक रूप से ही हम सजग हो।

इस तरह से संविधान देश की आत्मा है और इसका पालन हमारी नैतिक जिम्मेदारी।



रूचिका 

रा.उ.म.वि. तेनुआ,गुठनी,सिवान बिहार

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