कोसी मैया - अरविंद कुमार - Teachers of Bihar

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Sunday 21 July 2024

कोसी मैया - अरविंद कुमार

हिमालय पहाड़ की गोद में खेलते , फूल -पत्तियों से आंख मिचौली करती ,अठखेलियां करती कोसी मैया भीनगर के पास भारत में प्रवेश करती है ।


फिर नाग की तरह फुफकार ..कल-कल ,छल-छल कर हहाती कोसी बारिश के महीने में उत्तर बिहार के लाखों लोगों का खून सूखा देती है* । 


खासतौर पर बारिश के समय मौत की आहट व फसलों की बर्बादी का डर किसानों के आंखों की नींद गायब कर देते है ।*


बिहार के शौक के नाम से मशहूर कोसी नदी का तांडव 2008 में भी देखने को मिला था । जब खेत-पथाड़ में दौड़ती कोसी किसी को नही बक्शी थी । नाग की तरह फुफकार मारती कोसी देखते ही देखते लाखों घरों को लील गई थी* । *कई जिंदगी जल प्रवाह में विलीन होकर मौत की गहरी नींद सो गए ।*


*कोसी नदी हिमालय के अपने उद्गम स्थल से कुल 720 किलोमीटर की दूरी तय करती है इसमे 460 नेपाल के अन्दर तथा बाकी 260 कि.मी.की दूरी उ.बिहार के सुपौल,सहरसा,कटिहार जिले से होकर पूरा करती है* । 


*यह नदी आगे चलकर कटिहार के कुरसेला में गंगा से मिल जाती है , इसलिए इसे गंगा की सहायक नदी भी कही जाती है* ।


*माउंट एवरेस्ट व कंचनजंगा तक फैली इसकी जलधारा नेपाल में कोसी, इन्द्रावती, तांबा कोसी, दूध कोसी, लिक्षु कोसी, तामर कोसी व अरूण कोसी नदी के नाम से जाना जाता है । सात नदीयों के संगम के कारण नेपाल में इसे सप्तकोसी नाम से जाना जाता है* ।


*भारत ,नेपाल और तिब्बत तक फैली इस नदी की धार्मिक मान्यता की बात करें ,तो महाभारत और ऋग्वेद के अनुसार महर्षि विश्वामित्र के गुरू कोशिकी इसी तट पर तपस्या करते थे जिसके बाद इसका नामकरण कोसी के रूप में हुआ*।


*तमाम उतार-चढ़ाव के बीच कोसी नदी अतीत से लेकर वर्तमान तक अपने कार्य में तल्लीन है । जो हमें गतिशील जीवन की प्रेरणा दे रही है* ।


अरविंद कुमार 

म.वि.रघुनाथपुर गोठ

भरगामा,अररिया

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