ज्ञान और विज्ञान- गिरीन्द्र मोहन झा, - Teachers of Bihar

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Monday 8 July 2024

ज्ञान और विज्ञान- गिरीन्द्र मोहन झा,

 

किसी विषय-वस्तु-तथ्य की जानकारी प्राप्त करना ही ज्ञान है। ज्ञान गणित के ज्यामितीय शब्द 'किरण' की तरह होता है, जिसका आरम्भ तो है, किन्तु अन्त कहाँ है, यह मालूम नहीं। न्यूटन साहब ने लिखा है, "I know is a  drop, I don't know is an ocean. " निरंतर ज्ञान प्राप्त करना, निरन्तर सीखना प्रगति के सभी लक्षणों में से एक लक्षण है। धारावाहिक रामायण में रावण के प्रति श्रीहनुमान जी का यह संवाद है, "अच्छी शिक्षा जहाँ से मिले, अवश्य ग्रहण करनी चाहिए।" यूनान के महान दार्शनिक सुकरात के शब्दों में, 'स्मार्ट लोग हर चीज हर किसी से सीखते हैं, औसत लोग अपने अनुभवों से सीखते हैं, वेवकूफ के पास पहले से ही सभी उत्तर होते हैं ।' मुख्य रूप से जानकारी प्राप्त करना ही ज्ञान है । 

Science शब्द की उत्पत्ति Latin word 'Scientia' से हुई है, जिसका अर्थ है, Knowledge based on demonstrable and reproducible data.


विज्ञान शब्द का अर्थ है, विशेष ज्ञान, क्रमबद्ध ज्ञान। प्रयोगों द्वारा सिद्ध क्रमबद्ध ज्ञान को भी विज्ञान कहते हैं।

सन्त राजेश्वरानन्द जी के शब्दों में, "किसी विषय, वस्तु, तथ्य को जानना ज्ञान है और प्राप्त कर लेना विज्ञान है। सूर्य में प्रकाश है, यह जानते हैं, यह ज्ञान है और उस प्रकाश को प्राप्त कर लेते हैं तो वह विज्ञान है। बल्ब में प्रकाश है, यह जानते हैं, तो यह ज्ञान है, जब उसे प्राप्त कर लेते हैं तो वह विज्ञान है। कण-कण में परमात्मा का वास है, यह जानते हैं तो ज्ञान है, और उसे भक्ति रूपी विज्ञान के द्वारा प्राप्त करते हैं। जानना ज्ञान है और प्राप्त करना विज्ञान है ।"

मेरे गुरुजी डॉ. कृपाशंकर ओझा सर के अनुसार, "ज्ञान और क्रिया के मेल से उत्पन्न ज्ञान ही विज्ञान है। पहले हम ज्ञान की ओर, फिर ज्ञान से विज्ञान की ओर बढ़ते हैं।"

मेरे अनुसार, किसी भी विषय वस्तु, तथ्य को जानते हैं, तो वह ज्ञान है । और उसकी सत्यता तक पहुँचते हैं तो वह विज्ञान के मार्ग से ही पहुँचते है। भौतिक चीजों और अध्यात्म की सत्यता तक पहुँचना विज्ञान का ही कार्य है। विज्ञान में ही हम परिकल्पना से निष्कर्ष तक पहुँचते हैं। शोध, खोज और नई नई चीजों का आविष्कार विज्ञान के ही अंग-प्रत्यंग हैं। विज्ञान को मानव-कल्याण की भावना से युक्त होना चाहिए। श्रीमद्भगवद्गीता में एक ही बार पंद्रहवें अध्याय में 'विज्ञान' शब्द का प्रयोग हुआ है, किन्तु ज्ञान शब्द का प्रयोग कई बार हुआ है ।

यह तो तय है कि सबसे पहले ज्ञान की ओर बढ़ते हैं, फिर ज्ञान से विज्ञान की ओर, फिर विज्ञान के माध्यम से ही सबकुछ प्राप्त करते हैं। अत: शिक्षा से ज्ञान और ज्ञान से विज्ञान तब विज्ञान से विकास होता है ।

"A little science distances you from God, but a lot of science brings you nearer to Him." (Louis Pasteur's quote)



गिरीन्द्र मोहन झा,

+2 शिक्षक,+2 भागीरथ उच्च विद्यालय, चैनपुर- पड़री, सहरसा

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