Tuesday, 25 May 2021
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स्कूली बच्चों को उपलब्ध कराएं तकनीकी डिवाइस-चंद्रशेखर प्रसाद साहु
स्कूली बच्चों को उपलब्ध कराएं तकनीकी डिवाइस
कोविड-19 की पहली लहर में शैक्षणिक सत्र 2020-21 में बिहार के सभी विद्यालय लगभग 11 माह तक बंद रहे और अब दूसरी लहर में भी अप्रैल 2021 से ही सभी कोटि के विद्यालय बंद हैं । इससे स्कूली बच्चों की पढ़ाई में भारी नुकसान पिछले वर्ष भी हुआ और वर्तमान सत्र में भी उनकी स्कूली शिक्षा पर ग्रहण लग गया। हालांकि बिहार सरकार ने बच्चों की पढ़ाई में हुए नुकसान के भरपाई के लिए कई प्रयास किया है। 'मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय' कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षा 9वीं से कक्षा 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए दूरदर्शन के डी. डी. बिहार पर ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गयी हैं । बिहार सरकार ने एक नयी पहल करते हुए बिहार के स्कूली बच्चों और शिक्षकों के लिए पहला ऑनलाइन ई-लाइब्रेरी e -LOTS (e-Library of Teachers & Students) लॉन्च किया है। इस ई - लाइब्रेरी के जरिए डिजिटल फॉर्म में पाठ्यपुस्तकों को पढ़ा जा सकता है। टीचर्स ऑफ बिहार ने भी प्रारंभिक एवं माध्यमिक कक्षाओं के लिए 'स्कूल ऑन मोबाइल' कार्यक्रम के अंतर्गत अपने फेसबुक पेज पर कक्षा 5 से 10 तक के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू किया है। यह सारे कार्यक्रम लॉकडाउन में विद्यालय बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई में हुई क्षति की प्रतिपूर्ति के लिए किये जा रहे हैं। लेकिन यह भी एक कड़वा सच है कि इन ऑनलाइन कक्षाओं से विद्यार्थियों का एक बड़ा तबका अभी वंचित है। इसका कारण यह है कि लगभग 80% विद्यार्थियों या उनके अभिभावकों के पास एंड्रवायड मोबाइल सेट, कंप्यूटर, लैपटॉप अथवा स्ट्रांग नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध नहीं है। बगैर इन तकनीकी संसाधनों के संचालित ऑनलाइन क्लास का लाभ विद्यार्थी नहीं प्राप्त कर सकते हैं।
क्रूर कोरोना के संक्रमण के कारण घोषित लॉकडाउन में सबसे अधिक उन स्कूली विद्यार्थियों का नुकसान हुआ है जो अपनी शिक्षा के लिए सिर्फ विद्यालय और विद्यालय में कार्यरत सरकारी शिक्षकों पर अवलंबित हैं । ऐसे ही विद्यार्थियों का शिक्षण में भारी नुकसान हुआ है। ऐसे विद्यार्थियों के शिक्षण में हुए नुकसान की प्रतिपूर्ति के लिए बिहार सरकार ने अप्रैल 2021 से कैचअप कोर्स प्रारंभ करने की योजना बनाई थी परंतु कोविड-19 की दूसरी लहर ने उस मंसूबे पर पानी फेर दिया और विद्यार्थियों का शिक्षण अधिगम फिर से बाधित हो गया ।
कोरोना की दूसरी लहर के बाद चिकित्सक और विशेषज्ञ तीसरी लहर के आने का भी अनुमान कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में लंबे समय तक विद्यालय के बंद रहने के प्रबल आसार हैं और ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के स्कूली शिक्षा से लगातार कई महीने तक वंचित रहने की पूरी संभावना है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा ही विद्यार्थियों के लिए जरूरी सुविधा है । बिहार सरकार और टीचर्स ऑफ बिहार यह भरपूर प्रयास कर रहे हैं कि ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ अधिक से अधिक विद्यार्थियों को मिल सके। यह सार्थक कदम तभी सफल होगा जब सभी बच्चों के पास आई. सी. टी के संसाधन उपलब्ध हों। बिना एंड्रवायड मोबाइल सेट और सशक्त नेटवर्क (डेटा सहित) का यह लाभदायक प्रयास सफलीभूत नहीं हो सकेगा। हालांकि यह खबर आ रही है कि बिहार सरकार स्कूली बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए जरूरी डिवाइस उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है। बिहार सरकार का यह कदम अंत्यत सराहनीय और स्कूली बच्चों के लिए वरदान है। यदि बिहार सरकार स्कूली बच्चों को जरूरी डिवाइस उपलब्ध कराती है तो स्कूली बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़कर लाभ उठा सकेंगे। हालांकि यह भी सच है कि विद्यालयी कक्षा का विकल्प ऑनलाइन कक्षा कदापि नहीं हो सकती। ऑनलाइन कक्षा की अपनी कुछ सीमाएं हैं, यह विद्यालय में प्रत्यक्ष कक्षाओं जैसी शिक्षण-अधिगम का वातावरण सृजित नहीं कर सकती है और न ही विविधता व रोचकता ला सकती है, फिर भी क्रूर कोरोनाकाल में घोषित लॉकडाउन के कारण विद्यालय बंद होने की स्थिति में ऑनलाइन कक्षा की व्यवस्था को स्वीकार तो करना ही होगा।
ऐसे में स्कूली विद्यार्थियों की बेहतरी के लिए उनके अभिभावकों में सक्रियता व सजगता का होना आवश्यक है। गरीब या मध्यमवर्गीय सभी कोटि के अभिभावकों को लॉकडाउन में कुम्हला रहे बच्चों के विकास के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। जितना हो सके अपने बच्चों के लिए पढ़ने-लिखने की सुविधा व माहौल देना चाहिए क्योंकि ऐसी विषम परिस्थिति में जब विद्यालय बंद हैं, केवल वही बच्चों को पढ़ने-लिखने की सुविधा व माहौल दे सकते हैं। गरीब व निम्न मध्यमवर्गीय अभिभावकों के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि वे अपने बच्चों को ऑनलाइन कक्षा से जुड़ने के लिए एंड्रवायड मोबाइल सेट की व्यवस्था करें। एंड्रवायड मोबाइल स्कूली बच्चों के लिए अब टीचिंग टूल जैसा आवश्यक संसाधन हो चुका है।
हालांकि कई ऐसे परिवार भी हैं जिनके लिए एंड्रवायड सेट खरीदना मुश्किल है फिर भी कोशिश होनी चाहिए कि अब मोबाइल सेट को बच्चों के शैक्षिक हित को देखते हुए आवश्यक वस्तुओं की सूची व पारिवारिक बजट में शामिल किया जाए । अपने बच्चों की शैक्षिक बेहतरी के लिए अभिभावकों को इस ओर जरूर ध्यान देना होगा क्योंकि यह बच्चों के स्वर्णिम भविष्य से जुड़ा हुआ विषय है।
चंद्रशेखर प्रसाद साहु
कन्या मध्य विद्यालय कुटुंबा
प्रखंड- कुटुंबा, औरंगाबाद
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