Sunday, 26 September 2021
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कोविड-१९ संक्रमण और शिक्षा में बदलाव-डॉ. निधि सिंह
कोविड-१९ संक्रमण और शिक्षा में बदलाव
कोविड-१९ संक्रमण ने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी काफ़ी प्रभाव डाला है। जैसे-जैसे इस बीमारी के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई वैसे-वैसे शिक्षा के क्षेत्र में भी विषम परिस्थितियों की तेज़ी हुई और लॉकडाउन के साथ-साथ शिक्षा प्रदान करने वाले माध्यमों में भी काफ़ी रुकावटों का सामना करना पड़ा। भारत चूँकि एक विकासशील देश है और अभी तक हम हर जनसाधारण के लिए प्राथमिक शिक्षा तक मुहैय्या नहीं करा पाए हैं, इस तरह की महामारी ने शिक्षा के अब तक के पूरे ढांचे को हिला कर रख दिया। नतीजा हम सभी के सामने रहा, स्कूल-कॉलेज लम्बे समय तक बंद रहे और विद्यार्थियों को शिक्षा का कोई और साधन मालूम नहीं था।
पश्चिमी देशों में इस महामारी और शिक्षा से जुड़ी विषम परिस्थितियों का खंडन ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से किया जा रहा था परन्तु भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में यह माध्यम काफ़ी मुश्क़िल सा प्रतीत होता साबित हुआ। यहाँ २४० करोड़ स्कूली छात्रों के बारे में बात करना बहुत अहम है क्योंकि राइट टू एजुकेशन के तहत इन बच्चों को एक स्तर की शिक्षा पाना उनका अधिकार है। स्थिति की गंभीरता और कोरोना संक्रमण की अनिश्चितता को देखते हुए कुछ करना काफ़ी अनिवार्य था। कोरोना टीकाकरण १८+ उम्र तक के लोगों को भी पूरी तरह उपलब्ध नहीं हो पाई है और तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमण के मामलों की आहट शुरू हो चुकी है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सवाल यह उठता है, तो इसका उपाय क्या है? आगे आने वाली ऐसी विषम परिस्थितियों में शिक्षा का वैकल्पिक उपाय क्या हो सकता है?
हम सभी इस बात से अवगत हैं की भारत के अधिकांश बच्चे इंटरनेट से वंचित हैं और उन्हें स्मार्टफ़ोन या कंप्यूटर-लैपटॉप की भी उपलब्धता नहीं। इसलिए इंटरनेट द्वारा चलाए जाने वाले ऑनलाइन क्लासेज इन बच्चों, ख़ासकर जो ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, के लिए बहुत उपयोगी नहीं साबित हो सकते। हलांकि बिहार में भी कुछ इस तरह के पहल सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए टीचर्स ऑफ़ बिहार नामक संगठन द्वारा की गई। इस पहल में बिहार के कई स्कूलों के शिक्षक जुड़े और यथासंभव हज़ारों बच्चों को इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की कोशिश भी की गई। पर तब भी बहुतेरे बच्चे आधारभूत ढाँचे के अभाव में इससे जुड़ नहीं पाए। इसके मद्देनज़र टीवी और रेडियो शिक्षा प्रदान करने का एक अच्छा माध्यम जान पड़ता है।
भारत सरकार ने इन्ही डिजिटल माध्यमों को ध्यान में रखते हुए और इनकी मदद से ज़्यादा-से-ज़्यादा बच्चों तक शिक्षा को पहुँचाने के लिए पीएम ई विद्या 'वन क्लास वन चैनल' नामक पहल की शुरुआत मई २०२० में की। इस पहल में कक्षा एक से लेकर १२ तक के लिए १२ टीवी चैनल हैं जो हर दिन एक सुनिश्चित समय-सारणी के तहत कार्यक्रम को प्रसारित करते हैं। इसके अंतर्गत एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर आधारित डीटीएच टीवी के माध्यम से वीडियो कार्यक्रम और एफ़एम रेडियो और कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से ऑडियो कार्यक्रम का भी प्रसारण होता है। ये सारे कार्यक्रम हिंदी और अंग्रेज़ी, दोनों माध्यमों में उपलब्ध हैं। नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए विभिन्न डिजिटल माध्यमों के समन्वय के लिए इन सारे कार्यक्रमों को दीक्षा पोर्टल और मोबाइल ऐप्प पर भी उपलब्ध कराया गया है। इसी पहल में दिव्यांग बच्चों के लिए साइन लैंग्वेज में वीडियो और ऑडियो बुक्स के फॉर्म में ऑडियो कार्यक्रम भी बनाए गए हैं। ताज़ा आँकड़ों के हिसाब से पीएम ई विद्या के तहत ९,००० के करीब ऑडियो-वीडियो कार्यक्रम बने हैं और अलग-अलग माध्यम से प्रसारित किए जा रहे हैं। मतलब काफ़ी साफ़ है, कोरोना महामारी से उत्पन्न शिक्षा में अनिश्चितता और शिक्षा में आधारभूत ढाँचे की कमी को अचानक से १००% सही तो नहीं किया जा सकता परन्तु जो माध्यम हमारे पास उपलब्ध हैं, उनकी मदद से शिक्षा की प्रक्रिया में अचानक आई इस तरह की रुकावट को कुछ हद्द तक हटाया ज़रूर जा सकता है। बस ज़रुरत है इस तरह की पहल को दृढ़ता से लागू करने और इसके प्रचार-प्रसार की। भारत सरकार इसके लिए कार्यरत है क्योंकि भारत के हर बच्चे को शिक्षित करना और स्वावलम्बी बनाना ही विकास का सबसे पहला कदम साबित होगा।
डॉ. निधि सिंह
अकादमिक कंसलटेंट, सीआईईटी,
एनसीईआरटी, नई दिल्ली
ईमेल: nidhisingh.cietncert@gmail.com
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