शिक्षा और जीवन- श्री विमल कुमार"विनोद" - Teachers of Bihar

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Tuesday, 13 December 2022

शिक्षा और जीवन- श्री विमल कुमार"विनोद"

प्रत्येक व्यक्ति जन्म लेने के बाद से लगातार जीवन में हर समय कुछ-न-कुछ सीखता ही रहता है, जिससे उसका सतत् एवं लगातार विकास होता जाता है।

इस संसार में अनेकों समस्यायें भरी पड़ी है।मनुष्य को इन सभी समस्याओं का समाधान अपने बुद्धि विवेक से निकालना पड़ता है।विश्व की सारी समस्यायें अपने आप में समाधान से जुड़ी हुई है,क्योंकि प्रत्येक समस्या अपने आप में एक समाधान है।जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि विश्व की सभी समस्याओं की जननी अशिक्षा ही है जिसका समाधान शिक्षा से ही हो सकता है। वर्तमान समय में जब संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है वैसे समय में विश्व के देश तरह-तरह की खोज के द्वारा इसके समाधान का उपाय खोज रहे हैं।इस समय जब भारत वर्ष के साथ-साथ संपूर्ण विश्व में लाॅकडाउन के द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्ति का प्रयास किया जा रहा है,वैसी स्थिति में शिक्षा ही एक ऐसी चीज है जो कि लोगों को घर के लक्ष्मण रेखा के अंदर मनोरंजन तथा जीवन जीने का एक साधन है।

 वर्तमान परिस्थिति में या जब लोग तनावग्रस्त जीवन जीने को मजबूर होते हैं वैसी स्थिति में शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जो किसी भी व्यक्ति को तनाव मुक्त बना सकता है,क्योंकि ज्यों ही आप सीखने-सीखाने की ओर अपना ध्यान देने की कोशिश करेंगे,त्यों-ही आपका खाली समय व्यस्त होता हुआ नजर  आने लगेगा।साथ ही आप अपने किसी काम में व्यस्त हो जायेंगे।साथ ही मनोवैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि जो कोई व्यक्ति सप्ताह में कम-से- -कम साढ़े तीन घंटा अध्ययन करता है वह दूसरे की तुलना में अधिक दिनों तक जीवन जीता है।

इसके अलावे आज के समय में जब शिक्षा का परिवेश बदलता जा रहा है,वैसी स्थिति में ई-पुस्तक,स्मार्ट कक्षा,बिहार उन्नयन कक्षा आदि ने बच्चों को मानसिक दबाव से हटकर पठन-पाठन के लिये प्रोत्साहित किया है।पाठ्यचर्या में विद्यालय के अंदर वर्ग कक्ष के अंदर ,वर्ग कक्ष के बाहर तथा विद्यालय के बाहर की सारी गतिविधि आती है।वैसी विकट परिस्थिति में जब संपूर्ण भारतवर्ष में विद्यालय को बंद कर दिया गया है वैसी परिस्थिति में इंटरनेट के द्वारा शिक्षा विभाग के द्वारा सीखने-सिखाने का प्रयास ,बिना किसी बोझ के बच्चों को प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।

एक शिक्षक होने के नाते मुझे  ऐसा लगता है कि वैसे समय में जब लोगों को घरों की चहारदीवारी के अंदर रहने को कहा जाता है ,जहाँ लोग अपने आप में घरों के लक्ष्मण रेखा के अंदर बंद रहने को मजबूर होते हैं वैसे परिस्थिति में घरों में रहकर यदि आप सीखने-सीखाने का प्रयास करते हैं तो आप मानसिक रूप से तनाव मुक्त होंगे।क्योंकि आप ज्यों-ही पठन-पाठन की ओर आकर्षित होंगे आपका मन मस्तिष्क उस ओर खींचने लगेगा तथा आप मानसिक रूप से व्यस्त होते हुये नजर आयेंगे।

अंत में हम कह सकते हैं कि बिना शिक्षा ,जीवन का विकास हो पाना असंभव है,क्योंकि शिक्षा ही वह मूल मंत्र है जो मनुष्य की मानसिकता में परिवर्तन ला सकता है।शिक्षा के बिना जीवन पतवार विहीन नाव की तरह है,क्योंकि शिक्षा के बिना मनुष्य का किसी भी प्रकार का विकास संभव नहीं है। इसलिये वर्तमान समय में जब संपूर्ण भारतवर्ष में पूर्ण लाॅकडाउन है ,अध्ययन,अध्यापन का कार्य कीजिये ताकि समय का सदुपयोग हो साथ ही जीवन भी तनाव मुक्त हो सके एवं जीवन जीने में आनंद दायक हो सके।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार  "विनोद" 

प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा

बांका(बिहार)।

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