Saturday, 14 August 2021
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आजादी के मायने-राकेश कुमार
आजादी के मायने
आजादी (स्वतंत्रता) कितना प्यारा लगता है किसी को भी और अगर इसके विपरीत बात करें अर्थात गुलामी (परतंत्रता) की कल्पना भी नहीं करना चाहता कोई । सच भी है हम क्यों परतंत्र रहें क्योंकि आजादी हमारा अधिकार है लेकिन हमारे देश (भारत) के संदर्भ में ये बात लगभग दो सौ वर्ष लागू नहीं हुई । सोने की चिड़िया का पहचान बनाने वाला अपना राष्ट्र लगभग दो सौ वर्ष तक परतंत्र रहा । हम प्रत्येक वर्ष दो बार अपने देश की आजादी का जश्न मनाते हैं और अपने गौरवशाली इतिहास का स्मरण करते हैं एवं अपने युवा भविष्य के सामने एक बेहतर राष्ट्र के निर्माण का सपना भी रखते हैं । आज (वर्तमान) के संदर्भ में बच्चों के सामने आजादी का इतिहास, आजादी दिलाने के क्रम में बलिदानों का इतिहास एवं आजाद भारत का सपना देखने वालों के सपनों के भारत का निर्माण कैसे हो इससे भी बच्चों को परिचित कराना अति आवश्यक है । वर्तमान शिक्षण संदर्भ में नैतिक मूल्यों से सुसज्जित शिक्षण एक बेहतर भविष्य की नींव का मुख्य आधार है । आज चाहे हम किसी भी क्षेत्र के बारे में चर्चा करें उसमें दोनों (दुर्बल पक्ष एवं सबल पक्ष) का होना आवश्यक है क्योंकि हमें ये मानकर चलना होगा कि हम बच्चों को सिर्फ अवसर विशेष के बारे में नहीं बता रहें हैं बल्कि हमारा (शिक्षकों का) लक्ष्य है उस अवसर विशेष के बारे में बच्चों के दृष्टिकोण को सशक्त बनाना ताकि बच्चे उस अवसर विशेष की उप्लब्धियों को सदैव याद रखें एवं सकारात्मक सोच एवं ऊर्जा के साथ आगे बढ़े।
आलेख लिखने के क्रम में विषयवस्तु का आधार हमारे आस-पास हो रही चर्चा हीं होती है । समाज में हम देखते हैं कि सभी परिस्थितियों के जनक मौजूद होते हैं। कक्षा के दौरान स्वतंत्रता के महत्व पर चर्चा के दौरान बच्चों के बीच से आई एक प्रश्न, सर हमारा देश गुलाम (परतंत्र) कैसे हुआ और क्यों? यह एक ऐसा प्रश्न जो कहीं न कहीं हमारी नैतिकता पर भी प्रश्न था। कहीं न कहीं हमारी नकारात्मक महत्वाकांक्षा पर भी प्रश्न था। आज हमें बच्चों के बीच या हम सभी को आजादी के मायने को समझना हीं हम सभी को प्रेरित करेगा अपने देश के प्रति एक ईमानदार दायित्व का निर्वहन करने के लिए। हमारे देश की आजादी के इतिहास को कुछ शब्दों में पिरोना सम्भव नहीं है । आज हमें जरूरत है आजादी के मायने के उन वाक्यों को समाहित करने का जो राष्ट्र प्रथम को धर्म मानता हो।
आज के युवा पीढ़ी को गांधी, तिलक, नेहरू के सपनों का भारत कैसा हो तो साथ हीं साथ आजाद, भगत सिंह जैसे युवा क्रांतिकारियों के बलिदान का भारत कैसा हो, इस दृष्टिकोण को सशक्त बनाना।
हमारे देश की सबसे बड़ी खूबसूरती लोकतंत्र है जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। आज अक्सर हम अपने अधिकारों के प्रति सजग रहते हैं जो हमारे देश के संविधान ने कानूनी रूप से हमें प्रदान किया है :
* समता का अधिकार
* स्वतंत्रता का अधिकार
* शोषण के विरुद्ध अधिकार
* धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
* संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार
* संवैधानिक उपचारों का अधिकार
ये सब अधिकार हमें अपने सम्पूर्ण आजादी का अहसास दिलाती है एवं मजबूती प्रदान करती है लेकिन साथ हीं साथ हमारे संविधान ने कुछ मौलिक कर्तव्य भी तय किये हैं-
* प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
* स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करनेवाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे।
* भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे।
* देश की रक्षा करे।
* भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे।
* हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका निर्माण करे।
* प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे।
* वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करे।
* सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे।
* व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे।
* माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना।
हमने अपने आलेख में अधिकार एवं कर्तव्य की विस्तृत चर्चा इसलिए की क्योंकि जितना हम अपने अधिकार के प्रति जागरूक हैं उतना हीं हमलोग को अपने देश के प्रति कर्तव्य के दायित्व को भी आत्मसात करना होगा । इन दोनों को साथ लेकर चलना होगा। अगर ये बात हम अपने युवा भविष्य को समझाने में सफल रहे तो हम अपने आजादी के नायकों के सपनों को भारत बनाने में भी सफल होंगे और सही में आजादी के मायने को सार्थकता प्रदान करने में अपनी (शिक्षकों की) भूमिका का निर्वहन करेंगे।
राकेश कुमार
मध्य विद्यालय बलुआ मनेर
पटना
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