Sunday, 10 April 2022
New
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का शिक्षा शास्त्र
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का शिक्षा शास्त्र
NEP-2020 स्कूल परिसर या क्लस्टर के विचार का पुरजोर समर्थन करता है। इन स्कूल परिसरों का उद्देश्य स्कूलों में अधिक संसाधन, दक्षता और अधिक प्रभावी कामकाज, समन्वय, नेतृत्व, शासन और प्रबंधन है। स्कूल परिसर एक समृद्ध स्वायत्त समूह के साथ नवाचारी एवं उपयोगी होगा। एक माॅडल स्कूल के अधीनस्थ आस-पास के स्कूल नवाचार का एक सभा स्थल होगा। यदि परिसर के अंतर्गत 15 स्कूल हैं, तो 15 स्कूलों के शिक्षकों और बच्चों के बीच ज्ञान का संचार होना चाहिए। जो कोई विशेषज्ञता रखता है, उससे न केवल उसके स्कूल के शिक्षकों और बच्चों को लाभ होगा, बल्कि पूरा क्लस्टर के सभी हितधारक उसकी विशेषज्ञता और दक्षता से लाभान्वित होंगे। वे सभी संसाधन व्यक्तियों के रूप में काम करेंगे और यह स्कूलों के शिक्षकों के बीच एक संवादात्मक कार्यक्रम होगा। यह स्कूल परिसर की अवधारणा को जमीनी स्तर पर प्रचारित करने में सहायक होगा। स्कूल परिसर में विभिन्न स्कूलों के बच्चों की आदतों और विचारों के माध्यम से संज्ञानात्मक विकास की पहचान भी की जा सकती है और शिक्षक इसका लाभ छात्रों को सरलता से सिखाने में कर सकते हैं। उचित अनुश्रवण में स्कूल परिसर एक बहुत ही सुखद अनुभव देगा।
जब बेहतर प्रशिक्षण की बात आती है तो आज प्रशिक्षुओं को पढ़ाना मुश्किल है। वे 'गूगल बाबा' को ही सब कुछ मानते हैं, जो कि कुछ गलत है। पुस्तकें ज्ञान प्राप्त करने का सबसे बड़ा एवं सटीक साधन है, जिसका कोई अन्य विकल्प नहीं है। आज प्रशिक्षुओं को पढ़ाया नहीं जा सकता है, लेकिन उनमें अध्ययन की प्यास पैदा करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। उन्हें मार्गदर्शन एवं परामर्श दिया जा सकता है। समूह कार्य में नवाचार किया जा सकता है। यदि प्रशिक्षुओं को किसी पुस्तक को समूहबद्ध करके अध्यायवार अध्ययन करने के लिए कहा जाता है, तो वे एक दिन के भीतर अपने-अपने अध्यायों को हल कर लेंगे। चैप्टर नंबर-1,चैप्टर नंबर-2, चैप्टर नंबर- 3 और--इसी तरह, फिर वे आपस में अनुभव साझा कर सकते हैं। इस तरह का प्राप्त किया गया ज्ञान टिकाऊ होगा। शिक्षण की पुरानी प्रथा को बदलना होगा और रटने के बजाय आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक सोच पर जोर देना होगा। इंटर्नशिप के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। प्रशिक्षुओं को गांवों और मोहल्लों में जाकर सर्वेक्षण करवाना चाहिए। बच्चों का बेसलाइन टेस्ट लें और उनकी व्यक्तिगत चाइल्ड प्रोफाइल बनाएं, फिर सोचें कि इन बच्चों को मुख्यधारा से कैसे जोड़ा जाए। प्रशिक्षुओं को उस जमीन पर अनुभव होना चाहिए, जहां उन्हें शिक्षक के रूप में काम करना है। समुदाय में जाकर उनकी भाषा में बात करना होगा और दूरस्थ क्षेत्र के अनुभव को जानना होगा। तब प्रशिक्षु लोग वास्तविक रूप में स्कूल जाने के क्रम में समग्र दृष्टिकोण से सभी कठिन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे।
एनईपी-2020 के अनुसार 360 डिग्री समग्र प्रगति कार्ड शुरू होगा, जो आवश्यक कौशल और सामाजिक-भावनात्मक विकास चरणों को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा संरचना के तहत तैयार किया जाएगा। कार्ड में ज्ञान, कौशल दक्षताओं, दृष्टिकोण और मूल्यों और परिवर्तनकारी दक्षताओं को शामिल किया जाएगा। स्कूल-आधारित मूल्यांकन के लिए सभी छात्रों के प्रगति कार्ड, जिसे स्कूलों द्वारा अभिभावकों को सूचित किया जाता है, को पूरी तरह से नया रूप दिया जाना चाहिए। प्रगति कार्ड, एक समग्र, 360-डिग्री बहुआयामी छात्र के वर्तमान रिपोर्ट कार्ड का स्थान लेगा। नई नीति के तहत छात्रों को प्रगति कार्ड जारी किया जाएगा जो संज्ञानात्मक, भावात्मक और क्रियात्मक क्षेत्रों में प्रत्येक शिक्षार्थी की प्रगति के साथ-साथ विशिष्टता को बहुत विस्तार से दर्शाएगा। प्रगति कार्ड को शिक्षक मूल्यांकन के साथ स्व-मूल्यांकन, सहकर्मी मूल्यांकन और परियोजना-आधारित और पूछताछ-आधारित सीखने, प्रश्नोत्तरी, भूमिका निभाने, समूह कार्य, पोर्टफोलियो इत्यादि में बच्चे की प्रगति के साथ शामिल किया जाना चाहिए, तभी समग्र प्रगति कार्ड और स्कूल के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बनेगी। माता-पिता को अपने बच्चों की समग्र शिक्षा और विकास में सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए अभिभावक-शिक्षक बैठक होना चाहिए। पाठ्यपुस्तकों के विकास के दौरान, गुणवत्ता वाली गैर-पाठ्य सामग्री, यानी, आकृति, प्रवाह चार्ट, ग्राफ, ऑडियो, वीडियो, मानचित्र, आरेख आदि को पाठ्य सामग्री के साथ विकसित किया जा सकता है। आईसीटी के द्वारा क्यूआर कोड प्रदान करके किसी भी विश्व स्तरीय गतिविधियों को आसानी से सीखाया जा सकता है। क्यूआर कोड पाठ्यपुस्तकों को लचीला और मूल्यवान बनाने के लिए एक प्रभावी तरीका होगा, हर बार सब कुछ नए पहलुओं को जोड़ा जा सकता है। समय पर जानकारी शामिल होने के कारण यह विचार पाठ को जीवंत बनाएगा। विद्यार्थी का प्रगति कार्ड शिक्षकों और अभिभावकों को इस बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगा कि कक्षा के भीतर और बाहर प्रत्येक छात्र का समर्थन कैसे किया जाए। छात्रों को उनकी ताकत, रुचि के क्षेत्रों पर मूल्यवान जानकारी प्रदान करने के लिए एआई-आधारित सॉफ्टवेयर विकसित और उपयोग किया जा सकता है, ताकि छात्रों को सीखने के डेटा और माता-पिता, छात्रों और शिक्षकों के लिए इंटरैक्टिव प्रश्नावली के आधार पर उनके विकास को ट्रैक करने में मदद मिल सके। तनाव मुक्त मूल्यांकन में लचीलापन होना चाहिए; क्योंकि एनईपी-2020 में कक्षा 3, 5 और 8 में एक राज्यस्तरीय परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव से मूल्यांकन के मूल्य में वृद्धि होगी और बच्चों में सीखने की जागरूकता बढ़ेगी।
महामारी में बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई है। कुछ ऑनलाइन कक्षाएं हुईं हैं, जिससे केवल 30% बच्चों को लाभ हुआ है, जो एक बड़ी समस्या है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे डिवाइस से वंचित हैं। उनके पास एंड्रॉइड मोबाइल, टैब, लैपटॉप या डेस्कटॉप और स्मार्ट टीवी आदि नहीं हैं। उन्हें सरकार द्वारा ऐसा उपकरण उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। देखा गया है कि ऑनलाइन क्लास लेने वाले बच्चे चिड़चिड़े हो गए हैं। महामारी में कुछ बच्चे घर में रहते हुए बोरियत से उदास भी हो गए हैं। उसे मनोचिकित्सक से परामर्श की आवश्यकता है। स्मार्ट मोबाइल पर बच्चे सोशल मीडिया पर अश्लील तस्वीरें भी देख रहे हैं। ऑनलाइन क्लास के दौरान वे सोशल मीडिया का भी जमकर इस्तेमाल करते हैं। यह नई पीढ़ी के लिए खतरनाक है। हमें काउंसलिंग के जरिए इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटना होगा।
भारतीय कला और संस्कृति का प्रचार न केवल देश के लिए बल्कि व्यक्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है। सांस्कृतिक जागरूकता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली मुख्य दक्षताओं में से एक है। बच्चों के बीच भाषा, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए, स्कूल के सभी स्तरों पर संगीत, कला और शिल्प पर अधिक जोर देना आवश्यक है। बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए देश भर में भारतीय भाषाओं, तुलनात्मक साहित्य, रचनात्मक लेखन, कला, संगीत, दर्शन आदि में समृद्ध कार्यक्रम शुरू और विकसित किए जाने चाहिए। उच्च गुणवत्ता वाले कार्यक्रम, अनुवाद और व्याख्या में डिग्री, कला और संग्रहालय प्रशासन, पुरातत्व संरक्षण, ग्राफिक डिजाइन और उच्च शिक्षा प्रणाली से संबंधित विषय भी बनाए जाने चाहिए। छात्र सक्षम और पूर्ण नागरिक बनेंगे और सभी प्रकार के विकास से लैस होंगे।
आत्मनिर्भर भारत शायद स्वदेशी भारत का पर्याय है। आज भारत में निजीकरण तेजी से हो रहा है। शायद, स्वदेशी विचार और निजीकरण एक जगह टिक नहीं सकते, इन दोनों में सामंजस्य बिठाना एक बड़ी समस्या है। शायद गंगोत्री से निकलने वाली गंगा के बजाय आजकल गंगोत्री ही गंगा से निकल रही है। हवा उलटी बह रही है, यह भी किसी चुनौती से कम नहीं है। इसे समायोजित करना होगा। विभिन्न विचारों के मंथन से अमृत निकालना होगा, तभी भारत वैश्विक स्तर पर अपनी शैक्षिक क्षमता के बल पर पुन: विश्व गुरु बन पाएगा।
अनुज कुमार
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय बढ़ौना,
चण्डी(नालन्दा)
About ToB Team(Vijay)
Teachers of Bihar is a vibrant platform for all who has real concern for quality education. It intends to provide ample scope and opportunity to each and every concern, not only to explore the educational initiative, interventions and innovations but also to contribute with confidence and compliment. It is an initiative to bring together the students, teachers, teacher educators, educational administrators and planners, educationist under one domain for wide range of interactive discourse, discussion, idea generation, easy sharing and effective implementation of good practices and policies with smooth access.
शैक्षणिक
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Also read :-राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968
ReplyDeleteराष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की विशेषताएँ
ReplyDeleteAlso read
ReplyDeleteराष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986